6 March 2023

WISDOM -----

    ' काहु  न  कोउ  सुख  दुःख  कर  दाता  l  निज  कृत  करम  भोग    सबु   भ्राता  l l       हम  जो  आज  हैं  ,  वह  हमारे  अतीत  में   किए  गए  कर्मों   का  ही  परिणाम  है   और  भविष्य  में  हम   जो  भी  होंगे  ,  जिस  स्थिति  में  होंगे  ,  वह  हमारे   वर्तमान  में  किए  गए ,  कर्मों  का   ही    परिणाम  होगा   l   महाभारत  का  प्रसंग  है  ----  जब  भगवान  श्री कृष्ण   शांतिदूत  बनकर  हस्तिनापुर  गए   और  वहां  दुर्योधन  को  समझाने  लगे  l  तब  दुर्योधन  समझने  के  बजाय  उन्हें  बंदी  बनाने  चला  ,  तब  भगवान  ने  उस  सभा  में  अपना   विराट   स्वरुप   दिखाया  l    उस  समय  धृतराष्ट्र  को  अपने  अंधेपन  का  बहुत  दुःख  हुआ  l  वे  सोचने  लगे  कि  यदि  अंधे  न  होते  तो  इस   विराट    स्वरुप  के  दर्शन  कर  पाते  l   उन्होंने  अपना  यह  दुःख  भगवान  को  बताते  हुए  पूछा  --- " हे  माधव  ! मैं  केवल  यह  जानना  चाहता  हूँ  कि  मेरे  किस  संस्कार   व  कर्म  के   अशुभ  प्रभाव  ने   मुझे  इस  अंधेपन  का  दंड  दिया  ? "   धृतराष्ट्र   के  ऐसा  कहने  पर   श्रीकृष्ण   वहीँ  उसी  सभा  में  ध्यानस्थ  हो  गए   l  फिर  उन्होंने  कहा  --- " धृतराष्ट्र  ! मैं  आपके  पिछले  सात  जन्मों  को   देख  रहा  हूँ  , इनमे  से  किसी  जन्म  में  ऐसा  कोई  कर्म  नहीं  है , जिसके  कारण  आपको  अँधा  होना  पड़े  l "  इस  पर  धृतराष्ट्र  ने  कहा  --- "  तब  क्या  प्रकृति  ने   मेरे  साथ  अन्याय  किया  है  ?  "  इस  पर  श्रीकृष्ण  बोले  --- "  प्रकृति  कभी  किसी  के  साथ  अन्याय  नहीं  करती  है  l  राजन  !  आप  थोड़ा  ठहरें  l  "  भगवान  ने  उनके  और  पूर्व  जन्मों  को  ध्यान  में  देखा   , फिर  कहा  ---- " हे  महाराज  !   आपके  वर्तमान  जीवन  से  पहले  का  108  वां   जन्म  देख  रहा  हूँ  l  इसमें  मैं  देख  रहा  हूँ  कि  एक  किशोर  बालक   एक  पेड़  के  घोंसलों  से   चिड़िया  के  बच्चों  की  आँखों  को  कांटे  चुभोकर  फोड़  रहा  है  l  यह  किशोर  स्वयं  आप  हैं  l   पिछले  जन्मों  में  शुभ  कर्मों  के  कारण  आपका  यह  संस्कार   उभर  नहीं  सका  l  इस  जन्म  में  आपका  यह   संस्कार  उभरा   और  उससे   जुड़ा    कर्मफल     भी  उभरा  ,  जिसके  परिणाम स्वरुप   आपको   अंधे  के  रूप  में  जन्म  लेना  पड़ा   l "