24 September 2019

WISDOM---- वैचारिक प्रदूषण एक बड़ी समस्या है !

    यदि  विचार  परिष्कृत  होंगे  ,  दुष्प्रवृतियों  के  स्थान  पर  सद्प्रवृतियों  की  स्थापना  होगी  तो  संसार  की  जटिल  से  जटिल  समस्याएं  स्वत:  ही  हल  हो  जाएँगी   l
  आज  के  वातावरण  में  आसुरी  तत्व  बड़ी  मात्रा   में  उत्पन्न  हो  रहे  हैं  l  अनीति , अन्याय , अधर्म  और  अकर्म  का  चारों  ओर  बोलबाला  है  ल  स्वार्थ , पाप , वासना ,  तृष्णा  और  अहंकार  की   तूती  बोल  रही  है  l  एक  दूसरे  का  शोषण  कर  के  ,  सताकर  अपना  स्वार्थ  सिद्ध  करने  को  लोग  कटिबद्ध  हैं  l  प्रेम , उदारता ,  सह्रदयता ,  संवेदना  ,  सेवा  और  सज्जनता  की  मात्रा  दिन - दिन  घटती  जा  रही  है  l  फलस्वरूप  ऐसी  घटनाओं  की  बाढ़  आ  रही  है     जिनमे  चीत्कार  और  हाहाकार  की  भरमार  रहती  है  l  इस  से  पूरा  वातावरण  प्रदूषित  हो  गया  है  l  ये  दुष्प्रवृत्तियां   इसी  प्रकार  बढ़ती  रहीं  तो  प्रकृति के  सामूहिक  दंड  से   बचना  मुश्किल  है  ,  मानव  सभ्यता  खतरे  में  पड़  जाएगी   l
  विज्ञान  ने  भी   मनुष्य  के  हाथ  में  विनाश  की  बड़ी  शक्ति  ' एटमी  शक्ति '  दे  दी  है   l  किसी  सिरफिरे  का  छोटा  सा  पागलपन   कुछ  ही  क्षणों  में  संसार  के  लिए  तबाही  उत्पन्न  कर  सकता  है  l
  पं.  श्रीराम  शर्मा  आचार्य  ने  कहा  है  --- लोक  मानस  में  से  दुष्प्रवृत्तियों  को  हटाकर  उनके  स्थान  पर  सत्प्रवृत्तियों  की  स्थापना  अनिवार्य  है   l  यह  कार्य  आत्मशक्ति  से  संपन्न  लोकनायक  और  मार्गदर्शक  ही  कर  सकते  हैं  l  मस्तिष्क  की  वाणी  मस्तिष्क  तक  पहुँचती  है  और  आत्मा  की  आत्मा  तक  l
 अंत:करण  में  जमी  हुई  आस्था  में  हेरफेर  करने  का कार्य  ज्ञान  से  नहीं    आत्म  शक्ति  से  ही  संपन्न  होना  संभव  हो  सकता  है  l  आचार्य  श्री  ने  कहा  है --- लोकमानस  की  शुद्धि का  महान  भार   वाचालों  के  नहीं ,  तपस्वियों  के  कन्धों  पर  रहेगा  l  युग  की  आवश्यकता  ऐसे  तपस्वियों  की  प्रतीक्षा  कर  रही  है  l