वैराग्य शतक में भतृहरि ने भय की स्थिति का सूक्ष्म विश्लेषण किया है --- ' भोग में रोग का भय , सामाजिक स्थिति में गिरने का भय , धन में चोरी होने का भय , सत्ता में शत्रुओं का भय , सौंदर्य में बुढ़ापे का भय , शरीर में मृत्यु का भय l इस तरह संसार में सब कुछ भय से युक्त है l '
भोग - विलासिता का जीवन , स्टेट्स , धन सम्पदा , सत्ता , सौंदर्य यह सब उन्ही के पास होता है जिनके पास वैभव है l वे इस जीवन के आदि हो जाते हैं , इसलिए उन्हें सदैव इसके खोने का भय सताता रहता है l निर्धन व्यक्ति तो अपनी गरीबी , भूख और अमीरों द्वारा किये जाने वाले शोषण से तंग हो कर ही मरते हैं लेकिन संपन्न वर्ग में हम तनाव , पागलपन , आत्महत्या , राजरोग ---- आदि से जीवन का अंत होता देखते हैं l
यह एक चिंतन का विषय है कि सब कुछ होने के बाद भी इस वर्ग को शांति नहीं है l संसार में बड़े - बड़े उत्पात, दंगे - फसाद , नर - संहार इसी वर्ग के अहंकार और लालच की वजह से होते हैं l गरीब तो अपनी रोटी - रोजी की समस्या में उलझा हुआ है , इसी कमजोरी की वजह से शक्तिशाली वर्ग अपने स्वार्थ के लिए इनको इस्तेमाल करते हैं l
महाभारत काल में देखें तो दुर्योधन के पास सब कुछ था , लेकिन उसे सदा अपनी सत्ता के खोने का भय सताता था l इसी कारण उसने भीम को जहर देकर नदी में फेंक दिया , पांडवों को लाक्षा गृह में भेजा , जिससे वे वहां जलकर ख़त्म हो जाये , वहां वे बच गए तो जुए में चालाकी से हराकर जंगल भेज दिया l आसुरी प्रवृतियां शुरू से रही हैं , बस उनके कार्य करने के , अत्याचार - अन्याय कर दैवी प्रवृतियों को कमजोर करने के तरीके युग के अनुसार बदलते रहे हैं l दैवी प्रवृतियां जागरूक और संगठित होकर ही इस संग्राम में विजयी हो सकती हैं l
भोग - विलासिता का जीवन , स्टेट्स , धन सम्पदा , सत्ता , सौंदर्य यह सब उन्ही के पास होता है जिनके पास वैभव है l वे इस जीवन के आदि हो जाते हैं , इसलिए उन्हें सदैव इसके खोने का भय सताता रहता है l निर्धन व्यक्ति तो अपनी गरीबी , भूख और अमीरों द्वारा किये जाने वाले शोषण से तंग हो कर ही मरते हैं लेकिन संपन्न वर्ग में हम तनाव , पागलपन , आत्महत्या , राजरोग ---- आदि से जीवन का अंत होता देखते हैं l
यह एक चिंतन का विषय है कि सब कुछ होने के बाद भी इस वर्ग को शांति नहीं है l संसार में बड़े - बड़े उत्पात, दंगे - फसाद , नर - संहार इसी वर्ग के अहंकार और लालच की वजह से होते हैं l गरीब तो अपनी रोटी - रोजी की समस्या में उलझा हुआ है , इसी कमजोरी की वजह से शक्तिशाली वर्ग अपने स्वार्थ के लिए इनको इस्तेमाल करते हैं l
महाभारत काल में देखें तो दुर्योधन के पास सब कुछ था , लेकिन उसे सदा अपनी सत्ता के खोने का भय सताता था l इसी कारण उसने भीम को जहर देकर नदी में फेंक दिया , पांडवों को लाक्षा गृह में भेजा , जिससे वे वहां जलकर ख़त्म हो जाये , वहां वे बच गए तो जुए में चालाकी से हराकर जंगल भेज दिया l आसुरी प्रवृतियां शुरू से रही हैं , बस उनके कार्य करने के , अत्याचार - अन्याय कर दैवी प्रवृतियों को कमजोर करने के तरीके युग के अनुसार बदलते रहे हैं l दैवी प्रवृतियां जागरूक और संगठित होकर ही इस संग्राम में विजयी हो सकती हैं l