दुर्योधन को अहंकार दिखाए बिना चैन नहीं पड़ता था l पांडव वनवास में थे l दुर्योधन को महलों में भी संतोष नहीं हुआ , अपने वैभव का प्रदर्शन करने जंगल के उसी क्षेत्र में गया , जहाँ पांडव रह रहे थे l वहां अपने को सर्वसमर्थ सिद्ध करने के लिए मनमाने ढंग से जश्न मनाने लगा l अहंकारी में शालीनता और सौजन्य नहीं होता l वह अपने आगे किसी को कुछ नहीं समझता l उसी क्रम में कौरव गंधर्वों के सरोवर को गन्दा करने लगे l क्रुद्ध होकर गंधर्व राज ने उन्हें बंदी बना लिया l जब युधिष्ठिर को इस बात का पता चला तो उन्होंने अर्जुन को भेजकर अपने मित्र गंधर्व राज से उन्हें मुक्त कराया l दुर्योधन को शर्म से सिर झुकाना पड़ा l
17 July 2020
WISDOM -----
इनसान और जानवरों में एक बड़ा अंतर यह है कि इनसानों में महत्वपूर्ण बनने की आकांक्षा होती है l सहानुभूति और ध्यान आकर्षित करने तथा महत्वपूर्ण होने का अनुभव करने के लिए कई बार लोग बीमार होने का बहाना भी करते हैं l
महत्वपूर्ण होने का एक तरीका यह भी है कि अपने आस - पास के लोगों को सच्ची प्रशंसा देकर बड़ा चमत्कार किया जा सकता है l चार्ल्स श्वाब एक ऐसे व्यक्ति का नाम है , जिसने सहानुभूति और सच्ची प्रशंसा द्वारा लोगों के दिलों पर राज किया l एंड्र्यू कारनेगी ने चार्ल्स श्वाब को एक साल में दस लाख डॉलर से भी अधिक की तनख्वाह दी l इसका कारण श्वाब ने बताया कि वे लोगों के साथ व्यवहार करने की कला में निपुण थे l श्वाब का कहना था कि मैं मानता हूँ कि मेरी सबसे बड़ी पूंजी अपने कर्मचारियों की उत्साह बढ़ाने की कला है और मैं सराहना और प्रोत्साहन के द्वारा लोगों से श्रेष्ठ प्रदर्शन करवा लेता हूँ l "
महत्वपूर्ण होने का एक तरीका यह भी है कि अपने आस - पास के लोगों को सच्ची प्रशंसा देकर बड़ा चमत्कार किया जा सकता है l चार्ल्स श्वाब एक ऐसे व्यक्ति का नाम है , जिसने सहानुभूति और सच्ची प्रशंसा द्वारा लोगों के दिलों पर राज किया l एंड्र्यू कारनेगी ने चार्ल्स श्वाब को एक साल में दस लाख डॉलर से भी अधिक की तनख्वाह दी l इसका कारण श्वाब ने बताया कि वे लोगों के साथ व्यवहार करने की कला में निपुण थे l श्वाब का कहना था कि मैं मानता हूँ कि मेरी सबसे बड़ी पूंजी अपने कर्मचारियों की उत्साह बढ़ाने की कला है और मैं सराहना और प्रोत्साहन के द्वारा लोगों से श्रेष्ठ प्रदर्शन करवा लेता हूँ l "
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