4 February 2021

WISDOM ----

  पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ---- ' आलोचनाओं  का  जवाब   देने  में  जो  शक्ति  और  ऊर्जा  खरच   होती  है  ,  उससे   कई  रचनात्मक  कार्य  किए   जा  सकते  हैं  l   जो  आलोचनाओं  की  परवाह  किए   बिना   अपने  कार्य  पर  ध्यान  देते  हैं  ,  वे  ही  कुछ  अच्छा  कर  पाते   हैं   l   इसलिए  आलोचना  तो  सुननी   चाहिए  l  यदि  वास्तव    में  आलोचना  के  अनुसार   हमारे  अंदर  कमियां  हैं  ,  तो  उन्हें  दूर  करने  का  प्रयास  करना  चाहिए   ,  न  कि  आलोचना  करने  वाले  की   निंदा  करनी  चाहिए   l '

WISDOM -----

  इसे  मनुष्य  की  दुर्बुद्धि  ही  कहेंगे  कि   वे  अपनी  कमियों  की  ओर   नहीं  देखते  , अपनी   गलतियों को  सुधार  कर  अपनी  जड़ों  को  मजबूत  नहीं  करते     बल्कि    अपनी  सारी  ऊर्जा   दूसरों  की  कमियाँ   निकालने   तथा  दूसरों  की   जड़ें  हिलाने   में  गँवा  देते  है   l   इसका  परिणाम  बड़ा  दुःखदायी   होता  है  l   महाभारत  का  यह  प्रसंग  इसी  सत्य  को   बताता  है  ------  महाभारत  का  एक  पात्र  है  --- ' शकुनि '  , जो  बहुत  ही  धूर्त , कुटिल  और  षड्यंत्र  करने  में  माहिर  था   l   शकुनि  गांधार  नरेश  था  ,  लेकिन  वह  हमेशा   अपनी  बहन  गांधारी  के  पास  हस्तिनापुर  में  ही  रहा   l   शकुनि  जैसा  व्यक्ति     अपनी  बहन  गांधारी   जो    महान  पतिव्रता  थी ,  गुरु  द्रोण ,  भीष्म  पितामह   जैसी  महान  विभूतियों  के  बीच  रहने  पर  भी  अपनी  कुटिलता  को  नहीं  छोड़  सका  l  सारा  जीवन  वह   दुर्योधन  के  मन  में  विषबीज  बोता    रहा   l   अपने  भानजे   दुर्योधन  को  युवराज  बनाने  के  लिए   उसने   पांडवों  को  रास्ते  से  हटाने  के  _लिए  अनेकों  षड्यंत्र  रचे   l  भीम  को   खीर  में  जहर  पिलाया , पांडवों  को  अग्नि  में  भस्म  करने   हेतु    लाक्षागृह  का  षड्यंत्र  रचा   ,  फिर   पांडवों  को  जुए  के  लिए  चुनौती  देकर   उनको  बहुत  अपमानित  किया   l  इन  सब  षड्यंत्रों  का  परिणाम  हुआ  --- महाभारत   l   शकुनि  खुद  तो  डूबा  ,  अपने  साथ  पूरे   कौरव  वंश  को  ले  डूबा  l  महाभारत  में  शकुनि  तो  मारा  गया  ,  उसके  षड्यंत्रों  में   उसके  भागीदार  होने  के  कारण    कौरव वंश  का  ही  अंत  हो  गया   l  कोई  आँसू   पोछने  वाला  भी  नहीं  बचा  l