9 June 2021

WISDOM -----

  स्वार्थ , लालच  और  अति महत्वाकांक्षा  व्यक्ति  को  देशद्रोही  बना  देती  है   l ----- ऐतिहासिक  घटना  है  ----  घटना  उस  समय  की  है  जब   भारतवर्ष  अनेकों  छोटे - छोटे  राज्यों  में  विभक्त  था   l   हिन्दू  राजाओं  की  परस्पर  फूट   से  लाभ  उठाकर   समय - समय  पर  विदेशियों  ने  भारत  पर  आक्रमण  किए   और  यहाँ  की  अपार  धनराशि  को  लूटकर   अपने  खजाने  को  भरा  ,  यहाँ  की  संस्कृति ,  सभ्यता  को  कुचलकर  नष्ट  किया  l   चौदहवीं  शताब्दी  की  बात  है   l  देवगिरि  नामक  एक  छोटे  से  राज्य  में   क्षत्रिय  वंश  का  राजा  रामदेव  राज्य  करता  था  l   उसके  समय  में   अलाउद्दीन  ने  देवगिरि   के  राजा  रामदेव  को  सन्देश   भेजा  कि   वह  उसकी  आधीनता  को   स्वीकार    कर  ले   l   राजा  ने  संदेशवाहक  से  कहलवा  भेजा  कि   भारत  के  क्षत्रिय  पराधीन  होने  के  बदले   युद्ध  में  ख़ुशी - खुशी   मर  जाना  पसंद  करते  हैं   l   ऐसा  उत्तर  पाकर  अलाउद्दीन  ने  अपनी  विशाल  सेना  के  साथ  देवगिरि  पर  आक्रमण  कर  दिया   किन्तु  मुट्ठी  भर  राजपूतों  के  शौर्य  और  प्रचंड  पराक्रम   के  सम्मुख  अलाउद्दीन  अधिक  देर  तक  टिक  नहीं  सका   और  उसे  हार  कर  वापस  लौटना  पड़ा  l  अलाउद्दीन  को  इस  बात  का  बहुत  दुःख  था  , उसने  कूटनीति  से  काम  लिया  , उसने  सोचा   ये  हिन्दू  परस्पर  ईर्ष्या -द्वेष  रखते  हैं   और  अपने  स्वार्थ  के  लिए  एक  दूसरे  का  अहित  करने  से  नहीं  चूकते   l   हिन्दुओं  की  इसी  फूट   का  फायदा  उठाने  के  लिए   उसने   राजा  रामदेव  की  सेना  के  एक  बड़े  अधिकारी   कृष्णराव  को   लालच  दिया  कि   यदि  वह  उसे  देवगिरि  के  किले  के  सारे  भेद  बता  देगा  तो   जीते  जाने  पर  अलाउद्दीन  उसे   वहां  का  राजा  बना  देगा  l  कृष्णराव  बहुत  लोभी  और  स्वार्थी  था  ,  उसका  विवाह  वीरवती  से  तय  हुआ  था   जो  राजा  रामदेव  की  सेना  में   एक  सिपाही  के  रूप  में  काम  करती  थी  l   इसके  पिता  एक  मराठा  सरदार  थे  l  युद्ध  में  मृत्यु  हो  जाने  पर   अनाथ  बालिका  वीरवती  का  पालन  राजा  ने  ही  अपनी  पुत्री  के  समान   किया  था  l   वीरवती  को  इस  बात  का  ज्ञान  हो  गया  था था  कि   कृष्णराव  देशद्रोही  है  l   देवगिरि  में  जब  विजय उत्सव  चल  रहा  था  उसी  समय  अलाउद्दीन  के  आक्रमण  का  समाचार  मिला   l   राजा  समझ  गया  कि   उसकी  तरफ  के  किसी  व्यक्ति  ने   ही  गुप्त  भेद  बताकर  अलाउद्दीन  को   आक्रमण  करने  की  प्रेरणा  दी  है  l  तभी  राजा  और  सैनिकों  ने  देखा  कि   सेना  का  प्रमुख  अफसर  युद्ध  नहीं  कर  रहा  है   वरन  सैनिकों  को  गलत  निर्देशन   कर  रहा  है  l   वे  कुछ  पूछते  जब  तक   वीरवती  शत्रु  पक्ष  को  काटती  हुई  वहां   आ  पहुंची  ,  उसकी  आँखों  में  खून  उतर  आया  , उसने  अपनी   कृपाण     कृष्णराव  की   छाती  में  भोंक  दी  और  गरजकर  बोली  --यह  देशद्रोही  है  इसकी  यही  गति  होनी  चाहिए  l   कृष्णराव   घायल  अवस्था  में   था  बोला ---- मैं  देशद्रोही  हूँ  लेकिन  तुम्हारा  --------  वीरवती  ने  कहा ----- एक  देशद्रोही  को  मारकर  मैंने  अपने  देश  के  प्रति    अपना  कर्तव्यपालन  किया  है   l