पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी का कहना है --- " दूरसंचार क्रान्ति का सकारात्मक उपयोग हो , तो इसे वैचारिक क्रान्ति का कारगर एवं असरदार हथियार बनाया जा सकता है l " महात्मा गाँधी स्वयं जनसंचार के हिमायती थे l वर्ष 1930 के दांडी मार्च के निपुण चित्रांकन ने शीघ्र ही नमक सत्याग्रह को विश्वप्रसिद्ध घटना बना दिया l दांडी के लिए प्रस्थान करने से पहले बापू ने तीन फिल्म कर्मचारियों और कुछ फोटोग्राफरों को चुनकर अपने साथ कर लिया था l मोटरकार में गाँधी जी पीछे - पीछे चलकर उन्होंने पूरे अभियान की तस्वीरें खींची , जो दुनियाभर में दिखाई गईं l धूलधूसरित मैदान में लंबे डग भरते हुए अपने अनुयायिओं का नेतृत्व करते हुए महात्मा गाँधी की छवि तब लाखों लोगों के दिलों में बस गई थी l आचार्य श्री का कहना है ---' यदि इरादे नेक हों , दुर्बुद्धि दूर हो तो दूरसंचार सुविधा विचार - क्रांति का अनोखा हथियार होगी l '
19 November 2020
WISDOM -----
चित्रगुप्त महाराज के यहाँ समाधान न हो पाने से समस्या धर्मराज के सामने लाई गई l एक संत अपने त्याग के बदले सद्गति चाहते थे , जबकि चित्रगुप्त के हिसाब से उन्हें केवल कुलीन कुल में जन्म देने की व्यवस्था थी l धर्मराज ने विवरणों का सर्वेक्षण किया और बोले --- " संत जी , आपका यह कथन ठीक है कि आपने सांसारिक पद - प्रतिष्ठा का मोह नहीं किया और समय और शक्ति उसमे नष्ट नहीं की l त्याग के इस साहस के पुण्य से आपको श्रेष्ठकुल व सत्परिस्थितियों में जन्म मिलेगा l किन्तु आपने त्याग के द्वारा बचाई ईश्वरीय विभूतियों को किसी ईश्वरीय उद्देश्य में , लोक - कल्याण में नहीं लगाया l उन्हें सही दिशा में गति नहीं दी l इसलिए आप सद्गति के अधिकारी नहीं बनें l " संत का समाधान हो गया और अगले जीवन में त्याग के साथ शक्तियों के सुनियोजन का संकल्प लेकर विदा हुए l