19 November 2020

WISDOM -----

   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  का  कहना  है  --- " दूरसंचार  क्रान्ति   का  सकारात्मक  उपयोग  हो  , तो  इसे  वैचारिक  क्रान्ति   का  कारगर   एवं    असरदार  हथियार   बनाया  जा  सकता  है  l  "  महात्मा  गाँधी  स्वयं   जनसंचार  के   हिमायती   थे   l  वर्ष  1930   के   दांडी    मार्च   के   निपुण   चित्रांकन   ने    शीघ्र   ही   नमक  सत्याग्रह   को  विश्वप्रसिद्ध  घटना  बना  दिया  l   दांडी   के  लिए  प्रस्थान  करने  से  पहले   बापू  ने   तीन  फिल्म  कर्मचारियों   और  कुछ  फोटोग्राफरों   को  चुनकर  अपने  साथ  कर  लिया  था   l   मोटरकार   में   गाँधी जी   पीछे - पीछे  चलकर   उन्होंने    पूरे   अभियान    की  तस्वीरें  खींची   ,  जो  दुनियाभर  में  दिखाई  गईं  l   धूलधूसरित  मैदान  में   लंबे   डग  भरते  हुए   अपने  अनुयायिओं  का  नेतृत्व  करते  हुए   महात्मा  गाँधी  की  छवि   तब  लाखों    लोगों  के  दिलों  में  बस   गई   थी  l  आचार्य श्री  का  कहना  है ---'  यदि  इरादे  नेक  हों ,  दुर्बुद्धि  दूर  हो   तो  दूरसंचार  सुविधा   विचार -  क्रांति  का  अनोखा  हथियार   होगी   l  '  

WISDOM -----

   चित्रगुप्त  महाराज  के  यहाँ   समाधान  न  हो  पाने  से  समस्या  धर्मराज  के  सामने  लाई   गई  l   एक  संत   अपने  त्याग  के  बदले  सद्गति  चाहते  थे  ,  जबकि  चित्रगुप्त  के  हिसाब  से   उन्हें  केवल   कुलीन  कुल  में  जन्म  देने  की  व्यवस्था  थी  l  धर्मराज  ने  विवरणों  का  सर्वेक्षण  किया   और  बोले  --- " संत जी ,  आपका  यह  कथन  ठीक  है   कि   आपने  सांसारिक  पद - प्रतिष्ठा  का  मोह  नहीं  किया   और  समय  और  शक्ति  उसमे  नष्ट  नहीं  की  l   त्याग  के  इस  साहस  के  पुण्य  से   आपको  श्रेष्ठकुल   व  सत्परिस्थितियों  में  जन्म   मिलेगा  l   किन्तु  आपने   त्याग  के  द्वारा  बचाई   ईश्वरीय  विभूतियों   को   किसी  ईश्वरीय   उद्देश्य  में ,  लोक - कल्याण  में  नहीं  लगाया  l  उन्हें  सही  दिशा  में  गति  नहीं  दी  l  इसलिए  आप  सद्गति  के  अधिकारी  नहीं  बनें  l "  संत  का  समाधान  हो  गया   और  अगले  जीवन  में   त्याग   के साथ   शक्तियों  के  सुनियोजन  का  संकल्प  लेकर  विदा  हुए   l