रामकृष्ण परमहंस ने अपनी साधना से माँ काली का साक्षात्कार कर लिया था l इस रहस्य का पता जब उनके भांजे हृदय को चला तो वह बहुत खुश हुआ और बोला ----- " हम दक्षिणेश्वर से भाग चलें और ऐसी जगह चलें जहाँ हमें कोई न जानता हो l वहां हम आपकी काली माँ से करोड़ों रूपये मांगेंगे और भोग - विलास करेंगे l " रामकृष्ण परमहंस का सरल हृदय इस बात से बहुत दुःखी हुआ l उनकी यह व्यथा तब उजागर हुई जब स्वामी विवेकानंद ने उनसे कहा कि ठाकुर , हमें ईश्वर के दर्शन करा दो l रामकृष्ण परमहंस ने कहा ----- ' नरेंद्र ! इस संसार में भगवान को कौन चाहता है ? कौन अपना आंतरिक परिष्कार करना चाहता है ? सभी उसके भौतिक ऐश्वर्य का लाभ लेना चाहते हैं l उसे कोई नहीं चाहता l "
11 March 2021
WISDOM ------
ईश्वर के प्रति यदि हमारी भक्ति सच्ची है , कोई छल - कपट नहीं है तो भक्ति से भावनाएं परिष्कृत होती हैं और मन को शांति मिलती है l भक्त प्रह्लाद को मारने के लिए उनके पिता हिरण्यकशिपु और शुक्राचार्य ने कोई कसर न छोड़ी , हर संभव प्रयास किये , लेकिन प्रह्लाद निश्चिन्त और निर्भय थे l उनकी माता कयाधु उनके लिए चिंतित और भयभीत रहती थीं l प्रह्लाद जब - तब अपनी माता को समझाया करते ---- " माता ! चिंता की कोई बात नहीं है l भगवान नारायण हैं न l रही बात विपदाओं और विपत्तियों की , तो ये केवल भक्त की परीक्षा नहीं लेतीं , इन क्षणों में परीक्षा भगवान की भी होती है l भक्त की परीक्षा इस बात की होती है कि भक्त की निष्ठा , श्रद्धा , आस्था कितनी सच्ची और अडिग है l भगवान की परीक्षा इस बात की होती है कि वे कितने भक्तवत्सल और कितने समर्थ हैं l ' हम सच्चे भक्त बने , भगवान कभी भी अपने भक्त को अकेला नहीं छोड़ते , हर पल उसका ध्यान रखते है इसलिए भक्त सर्वथा शांत और निश्चिन्त रहता है l