4 June 2022

WISDOM ------

   यह  प्रसंग  है  उस  समय  का  जब  सिकंदर   विश्व  विजय  की  लालसा  में  भारत  आया  था   l  प्रतापी  सम्राट  पोरस  से  युद्ध  करने  के  बाद   सिकंदर  की  सेना  ने  आगे  बढ़ने  से  इंकार  कर  दिया  ,  उस  समय  सिकंदर  ने  सोचा  कि  आसपास  के  छोटे  राज्यों  को   क्यों  न  अपने  कब्जे  में  कर  लिया  जाये  l   सिकंदर  की  वक्र  द्रष्टि   अमृतसर  के  समीप  रावी  नदी  के  तट  पर  बसे   अश्वपति  के  राज्य  पर  पड़ी   l  राजा  अश्वपति  सात  फुट  लम्बा  एक  वीर  शासक  था   l  उसकी  वीरता  के  किस्से  सिकंदर  ने  सुन  रखे  थे   l  सिकंदर  के  सैनिक  हिम्मत  हार  चुके  थे   इसलिए  सामने  मुकाबला  करने  की  बजाय   सिकंदर  ने  छल  से  रात  को  आक्रमण  कर  दिया    l   उसके  सैनिकों  ने  छल  से  रात  के  समय  बहुत  मारकाट  मचाई  और  राजा  अश्वपति  को  बंदी  बना  लिया  l    अश्वपति  के  शौर्य  की  परीक्षा  लेने  के  लिए  उसने  अश्वपति  को  बंधन  मुक्त  कर  उससे  संधि  कर  ली    और  इस  ख़ुशी  में  दोनों  नरेशों  ने  सम्मिलित  रूप  से  दरबार  का  आयोजन  किया  l   अश्वपति  अपने  खूंखार  लड़ाका  कुत्तों  के  लिए  विश्व विख्यात  था  ,  चार  कुत्ते  हमेशा   अश्वपति  के  साथ  रहते  थे  l  जब  वह  दरबार  में  पहुंचा   तब  वह  कुत्ते  भी  उसके  साथ  थे   l  सिकंदर  ने  उनके  पहुँचते  ही  व्यंग्य  किया  ------ ' महाराज  !  ये  ' भारतीय  कुत्ते '   हैं  l    अश्वपति  ने   तुरंत  उत्तर  दिया  ---- हाँ  ,  ये  कभी  भी  छिपकर  छल  से  आक्रमण  नहीं  करते  ,  शेरों  से  भी  मैदान  में  लड़ते  हैं   l  "  अब  लड़ाई  का  आयोजन  किया  गया  l  एक  ओर  शेर  और  दूसरी  ओर  दो  कुत्ते  l    कुत्तों  ने  शेर  के  छक्के  छुड़ा  दिए  l  शेष  दो  कुत्तों  को  भी  छोड़  दिया  ,  अब  शेर  को  भागते  ही  बना  l  पर  कुत्तों  ने  उसके  शरीर  में  ऐसे  दांत  चुभोए  कि  शेर  आहात  होकर  वहीँ  गिर  पड़ा   l  अब  अश्वपति  ने  ललकार  कर  कहा ---"  महाराज  !  आपकी  सेना  में  कोई कोई  वीर  है  जो   कुत्तों  के  दांत  शेर  के  मांस  से  अलग  कर  सके   ?  एक - एक  कर  के  सिकंदर  के  कई  योद्धा  उठे   लेकिन  वे  उसके  दांत   शेर  के  मांस  से  अलग  न  कर  सके  l   तब  अश्वपति  ने  अपने  अंगरक्षक  को  संकेत  किया  l  वह  उठकर  शेर  के  पास  पहुंचा   और   कुत्ते  को  पकड़कर  एक  झटका  लगाया   कि  शेर   की  हड्डी  और  मांस  सहित  कुत्ता  भी  खिंचा  चला  आया  l  सिकंदर  को  भारतीयों  की  वीरता  का  अंदाजा  पहले  ही  लग   चुका   था  l  महाराज  पोरस  और  अश्वपति  से  युद्ध  जीतकर  भी  वह  हार  गया   l   सिर झुकाए  अपने  देश  की  और  चल  पड़ा   l