18 January 2024

WISDOM ------

   लोभ , भय  और  अहंकार   --- मनुष्य  की  ये  तीन  बुराइयाँ  ऐसी  हैं   जिनकी  वजह  से   परिवार  से  लेकर  संसार  में  उथल -पुथल    दिखाई  देती  है  l  लोभ  या  लालच  के  कारण  ही  व्यक्ति    संसार  में  धन -वैभव , पद -प्रतिष्ठा   और  सभी  सांसारिक  सुखों  को  पाने  के  लिए   जी -तोड़  प्रयास  करता  है   l  कलियुग  में  दुर्बुद्धि  का  प्रकोप  होता  है   , इस  कारण    मनुष्यों   के  सभी  प्रयासों  में  सत्यता  नहीं  होती  , छल -कपट , धोखा , षड्यंत्र   ----- नकारात्मकता  होती  है  l  जो  लोग  इस  युग  में  भी  सच्चाई  और  ईमानदारी  से  जीवन  व्यतीत  करते  हैं  ,  वे  निर्भय  होते  हैं   l  ऐसे  लोग  ईश्वर विश्वास  पर  अपना  जीवन  जीते  हैं  ,  उन्हें  किसी  का  भी  भय  नहीं  होता  l  लेकिन  जो   जितना  वैभव -संपन्न  है ,  ऊँचे  पद  पर  है   वह  उतना  ही  अधिक  भयभीत  है ,  उसे  उतनी  ही  अधिक  सुरक्षा  की  जरुरत  है  l   लोभ  के  साथ  ही  मोह  पैदा  हो  जाता  है   फिर  उसके  खोने  का  भय  सताता  है  l   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं  ---- " भविष्य  की  चिंता , , अतीत  में  हो  चुकी  भूलें  ,  उसे  परेशान  करती  हैं  ,  भयभीत  और  असुरक्षित  रखती  हैं  l  "    इन  सबसे  ऊपर  है  अहंकार  l  अहंकारी  स्वयं  को  ही  सर्वश्रेष्ठ  समझता  है  , चाहता  है  सब  उसके  सामने  नत -मस्तक  हों  l    ये  सब  मानसिक  कमजोरियां  हैं   जिनके  वशीभूत  होकर  व्यक्ति  गलत  काम  करता  है  ,  ये  गलतियाँ  ही  उसे  भयभीत  करती  हैं  l  संसार  से  चाहे  वह  इन  गलतियों  को  छुपा  ले   लेकिन  मनुष्य  का  मन  एक  दर्पण  है ,  उसका  मन  , उसकी  आत्मा   उसके  भले =बुरे  कर्मों  को  उसे  बार -बार  दिखाती  है  l  जिस  मन  के  वशीभूत  होकर  वह  गलत  कार्य  करता  है , उस  मन  से  वह  भाग  नहीं  सकता   l  उसका  मन  ही  उसे  कचोटता  है  l  इसी  कारण  वह  भयभीत  रहता  है  और  आत्महीनता  से  घिर  जाता  है  l   इसलिए  हमारे  ऋषियों  ने  जीवन  में  संतुलन  पर  जोर  दिया  है  l  संसार  के  सुखों  का  भी  आनंद  लो  , इसके   साथ   सच्चे  अध्यात्म  को  जीवन  में  अपनाकर  उन  सुखों  की  मर्यादा  भी  निर्धारित  करो   l  तभी  मन  की  शांति  मिलेगी  l