11 May 2021

WISDOM ----- यदि मनुष्य की आँख खुल जाए तो वह चापलूसी से किसी व्यक्ति को खुश करने के बजाय सत्कर्मों से ईश्वर को प्रसन्न करे

   एक  प्रसंग  है  ----  सुल्तान  महमूद  का  दरबार  कवियों  और  कलाकारों   के  लिए  शरण - स्थल  था   l   वे  सुल्तान  की  प्रशंसा  में  गीत - गज़ल   लिखते - सुनाते    थे  ,  उसके  बदले  उन्हें  पुरस्कार  मिलता  था  l   यह  एक  व्यवसाय  बन  गया  था   l  सुल्तान  महमूद  के  दरबार  में   एक उच्च  कोटि  के  शायर  थे , उनका  नाम  था  'सनाई ' l  वे  सुल्तान  की  प्रशंसा  में  नए - नए  शेर  रचते , गज़ल   लिखते   और  राजदरबार  में  गाकर  सुनाते , इसके  बदले  उन्हें  बहुत  पुरस्कार  मिलता  , प्रतिष्ठा  होती  l   एक  बार  की  घटना  है  --- उन्होंने  सुल्तान  की  प्रशंसा  में   कुछ  शेर  लिखे   l   उन्हें  सुनाने  के  लिए   वे  राजदरबार  की  ओर   चले  l  मार्ग  में  एक  मदिरालय  था  जिसमे   पियक्क्ड़   नशे  में  थे  l   एक  आवाज  सुनकर  वे  रुक  गए  l   एक  पियक्क्ड़  अपने  साथी  से  कह  रहा  था ----- " सुल्तान  महमूद  के  अंधेपन  की  गमजोई   में  ला  एक  पैग  दे  l "  साकी   कह  रहा  था ---- " बेवकूफ  !  कोई  सुन  लेगा  तो  तेरा  सिर   सीधा  कलम  हो  जायेगा   l   क्यों  अपनी  मौत  को  दावत  दे  रहा है ?' शराबी  बोला --- " सच  बात  कह  रहा  हूँ  l  सुल्तान  अँधा  नहीं  तो  क्या  है  ? "        "  अंधेपन  की  क्या  निशानी  देखी   तूने  सुल्तान  में  ? "        पीने  वाले  ने  कहा --- "  बहुत  कुछ  देखा  है  l   सुल्तान  के  पास  सुख  से  रहने   के लिए    धन - दौलत , वैभव  सब  कुछ  है  l   जो  चीजें  उसके  पास  हैं   उन्हें  ही  और  बटोरने  के  लिए   वह  पडोसी   राज्यों पर  हमले  करता  है  l   वहां  लूटमार  मचाता   है  l   हजारों  बेगुनाहों  को  मौत  के  घाट  उतारता   है   l   यह  अंधापन  नहीं  तो  क्या  है  ? "    सनाई  वहीँ  खड़े  रहे  , तभी  एक  आवाज  आई  --- " ला , एक  और  जाम  दे  ,  सनाई  की  बेवकूफी  पर  l "    अब  तो  साकी  को  चिढ़   सी  आ  गई  , सनाई  भी   कान  लगाकर  सुनने  लगे   l  साकी  कह  रहा  था  --- "  तुमने   यह क्या  बकवास  लगा  रखी   है  ?  सनाई  जैसे  उम्दा  शायर  के  लिए  यह  बोलते  तुम्हे  शर्म  नहीं  आती   l  "  पीने  वाला  कह  रहा  था  ---- "   मानता  हूँ  दोस्त ,  सनाई  बहुत  उम्दा  शायर  है  ,  परन्तु  उस  सा  बेवकूफ   दुनिया  में  खोजे   नहीं  मिलेगा  l  मालिक  ने  उसे  बहुत  बड़ा  हुनर   दिया   और  वह  उसकी  दी  हुई  काबलियत   को  अंधे  सुल्तान  की   तारीफ  करने  में  ही  खर्च  कर  रहा  है   l  "  शराबी  की  इन  बातों  को  सुनकर  सनाई   की आँखें  खुल  गईं ,  उसके  हृदय  में  जैसे  तीर  चुभने  लगे  ,  वह  उल्टे   पाँव   अपने  घर  वापस  आ  गया  l सुल्तान  की   प्रशंसा  में  जो  नए  शेर  तैयार  किए   थे  , उन्हें  रास्ते  में  ही  फाड़कर  फेंक   दिया  l   दो - चार  दिन  जब  सनाई  दरबार  में  नहीं  आये   तो  सुल्तान  ने  संदेशवाहक  भेजे  ,  उन्होंने  आकर  बताया  कि   सनाई  घर  पर  नहीं  हैं  l   लोग  सकते  में  आ  गए  जब  बाद  में  पता  चला  कि   सनाई  फकीर   के  वेश  में  अमुक  स्थान  पर   रूहानी  गीत  गाते  देखे  गए   l