21 September 2022

WISDOM ----

 पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं --- ' जीवन  एक  अनंत  प्रवाह  है  l मनुष्य  माया -मोह  में  फंसकर  कर्म  करता  रहता  है  , इस  कारण  जीवन  का  आवागमन  का  कर्म  चलता  रहता  है  l  मनुष्य  कर्मानुसार  एक -दूसरे  का  कर्ज  ही  देने  आता  है  l  केवल  मनुष्य  रूप  में  ही  नहीं , पशु -पक्षी  बनकर  भी  कर्ज  चुकाना  पड़ता  है  l  एक  कथा  है ---- एक  सेठ  जब  धन  उधार  देता  था   तो  यह  लिखवा  लेता  था  कि  यदि  इस  जन्म  में  कर्ज  न  चुका  सके  तो  अगले  जन्म  में  चुका  देंगे  l  चार  चोरों  ने  सोचा  अगला  जन्म  किसने  देखा  है  ?  चलो  रुपया  उधार  लेकर  कुछ  दिन  मौज -मस्ती  करेंगे  l  यह  सोचकर  सेठ  के  पास  गए  l  सेठ  ने  रूपये  दे  दिए   और  अगले  जन्म  में  चुका  देने  वाले  प्रमाण   पत्र   पर  हस्ताक्षर  करा  लिए  l  चोरों  ने  रात  को  वहीँ  रुकने  का  निश्चय  किया  ,  सेठ  ने  उन्हें  अपने  बाहर  के  कमरे  में  रुकने  की   व्यवस्था  कर  दी  l  कमरे  के  निकट  ही  गाय  और  बैल  बंधे  थे  l  एक  चोर  जानवरों  की  बोली  समझता  था  l  रात  में  उसने  सुना , गाय  कह  रही  थी  ---" भैया , मेरा  कर्ज  तो  सुबह  समाप्त  हो  जायेगा  , कल  दूध  देकर  मेरी  मुक्ति  हो  जाएगी  l "  बैल  ने  कहा --- " बहन , मुझ  पर  तो  अभी  बहुत  कर्ज  बाकी  है  l  पता  नहीं  कब  छुटकारा  मिलेगा  ? "  चोर  सुबह  तक  रुक  गए  l  सुबह  उन्होंने  देखा  कि  दूध  देने  के  बाद  गाय  मर  गई  l  चोर  डर  गए  ,  सेठ  के  पास  जाकर  यह  कहकर  धन  वापस  कर  दिया  कि  हम  अगले  जन्म  के  लिए  कर्जदार  नहीं  बनना  चाहते  l   उन्होंने  ईमानदारी  से  जीवन  जीने  का  निश्चय  किया  l   ----- कलियुग  में  दुर्बुद्धि  का  फेर  है  ,  लोग  अगले  जन्म  का  सोचते  नहीं  , करोड़ों  कर्ज  लेकर  भाग  जाते  हैं  ,  यदि  हम  अपने  धर्म ग्रंथों  पर  , ऋषियों  की  वाणी  पर  विश्वास  करते  हैं  तो  इतने  कर्ज  को  कितने  जन्मों  में  , किस  तरह  चुकाएंगे  , यह  सारा  हिसाब -किताब  करना  धर्मराज  के  लिए  भी  बहुत  कठिन  कार्य  है  l