12 November 2019

WISDOM ------ मनुष्य की महानता उसकी विवेक शक्ति में ही है

  मनुष्य  के  विकास  का  और  पशुओं  से  उसकी  श्रेष्ठता  का  मुख्य  कारण  उसकी  विवेक शक्ति   अर्थात  बुद्धि  है  l   जब  यह  कार्य  करना  बंद  कर  दे  ,  तो  उसका  सर्वनाश  सुनिश्चित  है  l
  पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  कहते  हैं  --- बुद्धि  के  नाश  से  गिरने  की   प्रक्रिया  को  रोकना  -- मनुष्य  को  संभालकर   ऊँचा  उठना  सिखाना   ही  अध्यात्म  है  l  आचार्य श्री  कहते  हैं  --- 'गिरना  सरल  है   l   उठना  कठिन  है  ---- इसलिए  उन्होंने  अध्यात्म  को  जिंदगी  का  शीर्षासन  कहा  है   l   जो  इस  शीर्षासन  को  सीख  लेगा  उसकी  जिंदगी  बन  जाएगी   l   अपनी  कामनाओं  पर  अंकुश  रखकर  ,  आसक्ति  से   दूर  हटकर   त्याग  भरा  जीवन  जीना  जिसने  सीख  लिया  ,   वही   सुख - शांति   में  रहता  है   l 
             बगदाद   के शासक  ने  जितना  कर  सकता  था   धन - सम्पति  जमा  की  l   उसके  लिए  वह  प्रजा  पर  तरह - तरह  के  अन्याय  व  अत्याचार  भी  करता  था   l  उससे  प्रजा  बड़ी  दुःखी   थी  l   एक  दिन  गुरु  नानक  घूमते - घूमते   बगदाद   जा  पहुंचे   l   शाही  महल  के  सामने  ही  कंकड़ों  का   छोटा  सा  ढेर  जमा  कर   उन्ही  के  पास  बैठ  गए  l   किसी  ने  गुरु  नानक  के  आने  की   सूचना    दी   l   राजा  स्वयं  वहां  पहुंचा  l   कंकड़ों  का  ढेर  देखते  ही  उसने  पूछा  --- ' महाराज  ! आपने  यह  कंकड़  किसलिए  इकट्ठे  किए   हैं   ? "  गुरु  नानक  ने  शीघ्र  उत्तर  दिया  --- " महाराज  ! प्रलय  के  दिन   इन्हे  ईश्वर  को  उपहार  में  दूंगा  l "
 सम्राट  जोर  से  हँसा   और  बोला --- " अरे  नानक  !  मैंने  तो  सुना  था  तू  बड़ा  ज्ञानी  है  ,  पर  तुझे  इतना  भी  नहीं  पता   कि   प्रलय  के  दिन  रूहें   अपने  साथ  कंकड़  तो  क्या  सुई - धागा  भी  नहीं   ले  जा  सकतीं  l
                    गुरु  नानक  ने  कहा ---- " मालूम  नहीं  महोदय  ,  पर  मैं   आया  तो  इसी  उद्देश्य  से  हूँ  कि   और  तो  नहीं  पर  शायद  आप   प्रजा  को  लूटकर  जो  धन  इकट्ठा  कर  रहे  हो  ,  उसे  अपने  साथ  ले  जायेंगे   तो  उनके  साथ  ही  यह  कंकड़ - पत्थर  भी  चले  जायेंगे   l  "  राजा  समझ  गया   और  अब  प्रजा  का  उत्पीड़न   बंद  कर  उनकी  सेवा  में  जुट  गया   l