27 July 2022

WISDOM ----

     इस  संसार  में     हमेशा  से  ही  अँधेरे  और  उजाले  में  संघर्ष  रहा  है   l   अंधकार  को  सबसे  ज्यादा  डर  प्रकाश  से  ही  लगता  है   l     देवत्व  को  मिटाने  के  लिए  सारी  आसुरी  शक्तियां  एक  जुट  हो  जाती  हैं   l   असुरता  में  एक  विशेष  बात  यह  है  कि  वे   संगठित  रूप  से   स्वयं  को  इस  तरह  प्रस्तुत  करते  हैं   जैसे  उनका  मार्ग  बिलकुल  सही  है  ,  शेष  सब  गलत  है   l  सामान्य  व्यक्ति  समझ  नहीं  पाता  और  वह  असुरता  का  ही  अनुसरण  करने  लगता  है   l  ---------- सतयुग  धरती  की  ओर  बढ़  रहा  था   l  यह  देखकर  कलियुग  को  अपने  अस्तित्व  की  बड़ी  चिन्ता  हो  गई  ,  उसने  अपने  सहायकों  की  सभा  बुलाई   l  सहायकों  ने  उसे  ढाढस   बंधाया  ,  किसी  ने  कहा ,  मैं  पृथ्वी  पर  जाकर   धन  का  लालच   फैला  दूंगा ,  किसी  ने  कहा  , हम  लोगों  को  कामनाओं  में  फंसा  देंगे   l  किसी  ने  कामिनी  का  दर्प  दिखाया  ,  पर  कलि  को  संतोष  नहीं  हुआ   l  एक   बूढ़ा  सहायक   एक  कोने  में  बैठा  था   l  वह  बोला ---- "  मैं  जाकर  लोगों  में   निराशा  और  आलस्य   पैदा  कर   दूंगा  l  उनके  साहस  को  नष्ट  कर  दूंगा  ,  बस  !  फिर  वे  किसी  काम  के  न  रहेंगे    और  न  वे  किसी  बुराई   को  दूर  करने  के  लिए  संघर्ष   कर  सकेंगे   और  न  ही  किसी  अच्छाई  को   उपार्जित  करने  का   साहस  उनमें  रहेगा  l " इस  वृद्ध  सहायक  की  बात   कलि  महाराज  को  बहुत  पसंद  आई    और    सतयुग  को  आगे  बढ़ने  से  रोकने  की  जिम्मेदारी   उन्होंने  उसी  को  सौंप  दी  l  आज  के  समय  के  निराश  और  आलसी  लोग   कलि  महाराज  की  प्रजा  बने  हुए  हैं   l  सतयुग   बेचारा  क्या  करे  ?  

WISDOM -----

     अनमोल  मोती  -----  खडाऊं  पहन  कर  पंडित जी  मंदिर  की  ओर  चले  l   कदम  बढ़ने  के  साथ  खडाऊं   से  भी  खट -खट   का  स्वर  निकल  रहा  था   l  पंडित जी  को  यह  आवाज  पसंद  न  आई   l  वह  एक  स्थान  पर  खड़े  होकर  खडाऊं  से  पूछने  लगे  ---- "  अच्छा  यह  तो  बताओ   कि   पैरों  के  नीचे   इतनी  दबी  रहने  पर  भी   तुम्हारे  स्वर  में  कोई  अंतर  क्यों  नहीं  आया   ? "  खडाऊं  ने  पैरों  के  नीचे  दबे -दबे  ही  पंडित जी  की  जिज्ञासा  शांत  करते  हुए  कहा  ----- " मैं  तो  जीने  की  इच्छुक  हूँ   l  पंडित जी   !  इस  संसार  में  ऐसे  लोगों  की  कमी  नहीं   जो  दूसरों  के  दबाव  में  आकर    अपना  स्वर  मंद  कर  लेते  हैं  ,  उन्हें  तो  जीवित  अवस्था  में  भी    मैं  मरा  हुआ  मानती  हूँ   l  "