27 January 2021

WISDOM ------

   कहते  हैं  --- जो  कुछ  महाभारत  में  है ,  वही  इस  धरती  पर  है   l   इसके  विभिन्न  प्रसंग  हमें  शिक्षा  देते  हैं ,  जीवन  जीना  सिखाते  हैं  ------- महाभारत  का  एक  पात्र  है  ----'  अश्वत्थामा  '  l   जब  महाभारत  के  युद्ध   में दुर्योधन  भी  पराजित  हो  गया  ,  वह  घायल  अवस्था  में  पड़ा  था  ,  उसे  इस  बात  का  दुःख  था  कि   पांचों  पांडवों  में  से  वह  किसी  को  नहीं  मार  सका  l   तब  उसने  कूटनीतिक  चाल  चली   और    शिविर  में    सोते  हुए  पांचों   पांडवों  को मरने  चला  l   उस  समय  उस  स्थान  पर  द्रोपदी  के  पांच  अबोध  शिशु  सो  रहे  थे  l   क्रोध  में  उसकी  बुद्धि  भ्रष्ट  हो  गई  ,  उसने   उन  पांचों  बच्चों  का  गला   काट  दिया  और  दुर्योधन  के  पास  पहुंचा  l   दुर्योधन  ने  उससे  भीम  का  सिर   माँगा  l   सिर   को  अपने  हाथ  में  लेते  ही   वह  चौंक  गया  ,  इतना  कोमल   और नाजुक  l   दुर्योधन  क्षत्रिय  था ,  वीर  था  ,  उसको  अपने  जीवन   के   आखिरी   पल   में  बहुत  दुःख  हुआ  , उसने  कहा --- अश्वत्थामा  तुमने  यह   घोर पाप  किया  ,  निर्दोष  बच्चों  की  हत्या  कर  दी  !     पांडवों  को   जब  इसकी  जानकारी  मिली   तो  उन्होंने  अश्वत्थामा  को   पकड़  कर  द्रोपदी  के  सामने  पेश  किया   कि    इस  घोर  पाप  के  लिए  इसे   जैसा  कहो  वह  दंड  थे  ,  लेकिन  द्रोपदी  को  दया  आ  गई  ,  और  कहा  जैसे  मैं  दुःखी   हूँ  ,  गुरु  माता  को  भी  दुःख  होगा  , इसे  छोड़  दो   l    सोते  हुए  निर्दोष  बालकों  की  हत्या  का  घृणित  कृत्य  कर  के  भी  उसे   क्षमा  मिल  गई  ,  इससे  वो  सुधरा  नहीं   बल्कि  और  पाप  करने   की उसकी  हिम्मत  खुल  गई   l        अब  उसने    अभिमन्यु  की  पत्नी  उत्तरा  के  गर्भ  को   निशाना  बनाया  ,  ताकि  पांडवों   का वंश  ही  समाप्त  हो  जाये  l   गर्भस्थ  शिशु  की  रक्षा  तो  भगवान  कृष्ण  ने  की  ,  लेकिन  फिर  उन्होंने  अश्वत्थामा  को  क्षमा   नहीं किया  l   मृत्यु  दंड  तो  कम  था  ,  भगवान  कृष्ण  ने  भीम  से  कहा  -- अश्वत्थामा  के  मस्तक  पर  जो  मणि  है  उसे  निकाल   दो  ,  इससे  वहां  घाव  हो  जायेगा   जो   हमेशा रिसता   रहेगा  ,  उससे  बुरी  बदबू  आएगी  ,  मणिहीन   होकर    हजारों  वर्षों  तक  ये  ऐसे  ही  भटकता  रहेगा  l   पूर्वज  कहा  करते  थे  -- यदि  कभी   अचानक  तेज  बदबू    आये  तो  समझो  वहां  से  अश्वत्थामा  निकला  है  l    ----- महाभारत  का  यह  प्रसंग  शिक्षा  देता  है  कि    कभी    किसी   निर्दोष  प्राणी  की  हत्या  नहीं  करनी  चाहिए  ,  संसार  की  अदालत  से  तो  व्यक्ति  बच  जाता  है   लेकिन  प्रकृति  में  क्षमा  का  प्रावधान  नहीं  होता  l