21 June 2021

WISDOM -----

   जाति   प्रथा  और  छुआछूत  की  भावना  से  हमारे  देश  का  कितना  अहित  हुआ  है  ,  यह  संकीर्णता  राष्ट्र  के  लिए  कितनी  घातक  है  ,  इसकी  कल्पना  नहीं  की  जा  सकती      ---- इसे  स्पष्ट   करता  हुआ  यह  प्रेरणाप्रद  दृष्टांत  है  -----                                         ग्यारहवीं  शताब्दी  का   द्वितीय  शतक   l   सोमनाथ    पट्टन    निवासी    विजय  भट्ट   नामक  विद्वान्  जब  अपने  नित्य  कर्म  से  निपटकर  वेद  पाठ  करने  बैठता  ,  तो  उसकी  शूद्र  सेविका   का  आठ  वर्षीय  पुत्र  देवा    उसे  देखकर  स्वयं  भी  वैसा ही  विद्वान्  बनने  के  सपने  देखने  लगा    l   एक  दिन  उसने  डरते - डरते   विजय  भट्ट  से   उसे  भी  संस्कृत  पढ़ाने  का  निवेदन  किया   l   विजय  भट्ट  ने  उसे   कठोरता   से    उत्तर  दिया  ---- "  तुम  शूद्र  हो   l   शूद्रों  को  देव  भाषा  पढ़ने  और  सुनने  का  अधिकार  नहीं  है   l  "    विजय  भट्ट  की  एक  कन्या  शोभना  देवा  की  समवयस्क  थी  l   देवा  को  पढ़ने  की  ललक  थी   l   जब  विजय  भट्ट   अपनी  कन्या  को  संस्कृत  पढ़ाते   तो    देवा   मकान  के  एक  कोने  में  छिप  जाता  और  बड़े  ध्यान  से  सब   सुनता , समझता   l   जो  कुछ  समझ  में  नहीं  आता   , वह  अवसर  पाकर   शोभना  से  पूछ  लेता  l   बच्चों  का  मन  निर्मल  होता  है   ,  वह  पिता  की  अनुपस्थिति  में  उसे    सब  बता  देती   l   इस  तरह  जिज्ञासु  देवा  एक  दिन   संस्कृत   पढ़  गया ,  धर्मशास्त्रों  को  समझने  लगा   ,  फिर  उसने  अपने  समाज  में  ज्ञान  का  प्रसार  करना  आरम्भ  किया   l एक  शूद्र  द्वारा  वेद  मन्त्रों  का  उच्चारण  करना  , देव भाषा  संस्कृत  का  अध्यापन  करना   रूढ़िवादी  पंडितों  को  सहन  नहीं  हुआ   l   उन्होंने  देवा  को  चेतावनी  दी  कि   वह  धर्म  के  विरुद्ध  कार्य  न  करे   l  देवा  ने  उन्हें  शास्त्रों  का  प्रमाण  देकर   बताया  कि   शूद्र  जन्म  से  नहीं  कर्म  से  होते  हैं   l   लेकिन  रूढ़िवादी  ब्राह्मणों  ने  उसे  बहुत  अपमानित  किया  और  मारापीटा   भी   l   अकारण  ही  इस  अपमान  और  तिरस्कार  की  प्रतिक्रिया  स्वरुप     देवा  के  मन  में  प्रतिशोध  की  भावना  उत्पन्न  हो  गई    और  उसके  हृदय  में  सोमनाथ  पट्टन   के  ब्राह्मणों  से  बदला  लेने  की  आग  धधक  उठी   l   दुर्योग  से    अपमानित  और  तिरस्कृत  देवा  की  भेंट   महमूद  गजनवी  के  एक  गुप्तचर  से  हो  गई  l   महमूद  गजनवी  सोमनाथ  के  मंदिर  पर  आक्रमण  करना  चाहता  था  ,  इसी  उद्देश्य  से  उसने  गुप्तचर  भेजे  थे  l   जब  देवा  ने  अपने  साथ  हुए  हिन्दू  समाज  के  दुर्व्यवहार  की  चर्चा  उसने  की   l   तो  गुप्तचर  ने  उससे  कहा  ---- '  तुम  इतने  विद्वान्  हो  ,  फिर  भी  इन  लोगों  ने  तुम्हारा  इतना  तिरस्कार  किया  ,  तुम  मुसलमान   क्यों  नहीं  बन  जाते   ?  हम  तुम्हारे  अपमान  का  बदला  लेंगे  l '  देवा  के  मन  में  बदले  की  आग  थी  उसने  तुरंत  इस्लाम  धर्म  स्वीकार  कर  लिया  और  देवा  से   फतह  मुहम्मद  हो  गया   l   पाटन   नरेश  भीमदेव  चौलुक्य  ने   महमूद  गजनवी  के  आक्रमण  से    सोमनाथ  मंदिर  की  रक्षार्थ   अपनी  सेना  सजा  रखी   थी  l   सुदृढ़  सुरक्षा  व्यवस्था  के  कारण   महमूद  गजनवी  सोमनाथ  पर  अधिकार  करने  में  सफल  नहीं  हो  पा  रहा  था   l   देवा   जो  अपमान  के  कड़वे  घूंट  पीकर  फतह  मुहम्मद   हो  गया  था    वह  सोमनाथ  पट्टन   के  सब  रहस्य  जानता   था    उसने  वह  सब  जानकारी  और  गुप्त  द्वार  का  रास्ता  महमूद  गजनवी  को  बता  दिया   l   गजनवी  की  पूरी  सेना  बाढ़  की  तरह  अंदर  घुस  गई  ,  राजपूतों  की  हार  हुई  l   सोमनाथ  की  मूर्ति  तोड़  दी  गई  l   असीमित  धन  सम्पदा  ,  हीरे , जवाहरात  सब  लूटकर  महमूद  अपने  साथ  ले  गया  l   यदि  देवा  का  इतना  अपमान  नहीं  किया  होता  तो  वह  क्यों  महमूद  गजनवी  की  सहायता  करता  l   महमूद  गजनवी  की  सफलता  में    यहाँ  के  लोगों  की  रूढ़िवादिता ,    छुआछूत  व  संकीर्ण  मानसिकता     सहायक   हुई  थी   l 

WISDOM -----

   आज  हम  वैज्ञानिक  युग  में  जी  रहे  हैं  ,  जीवन  का  कोई  भी  पक्ष  ऐसा  नहीं  है  जहाँ  विज्ञानं  न  पहुंचा  हो   l   कब  तूफ़ान  आना  है  , कब  चक्रवात   मौसम  आदि  की  भविष्यवाणी  तो  बहुत  पहले  से  हो  रही  हैं  l चिकित्सा  के  क्षेत्र  में  विज्ञान   के  एक  से  बढ़कर  एक  कीर्तिमान  हैं  l पहले  हैजा ,  चेचक ,  प्लेग ,  पोलियो     आदि  घातक  महामारियों  की  भविष्वाणी  नहीं  होती  थीं  ,  वे  अचानक  आती  थीं  ,  उनके  आने  का  और   विशाल  क्षेत्र  को   अपने  चपेट  में  लेने  का  कारण   भी  स्पष्ट  था   l   इसी  कारण  उनका  प्रामाणिक  इलाज  हुआ  ,  मानव  समाज  को   इन  बीमारियों  से  मुक्ति  का  रास्ता  मिला   l    अब  विज्ञानं  में  भविष्य  को  देखने  की  क्षमता  है  l   अब  भविष्यवाणी  हो  जाती  है  कि   कौनसी  महामारी  कब   आ  रही  है  l   लेकिन  यह  क्यों  आ  रही  है   ?   मानव  समाज   की  किन   भूलों  ने  ,  किन  गलतियों  ने  उसे  आने  का  न्योता  दिया  है   ?   हर  मर्ज  का इलाज  संभव  है  लेकिन  जब  कारण  स्पष्ट  होता  है  तभी  उसका   निवारण  होता  है   l  संसार  में  विद्वानों  की , विषय   विशेषज्ञों   की  कमी  नहीं  है   l    हृदय  में  संवेदना  हो  तो  संसार  की  सभी  समस्याएं  सुलझ  सकती  हैं   l   पुराणों  में  अनेक  उदाहरण  हैं  ---- जब  समुद्र  से   रास्ता   देने  के  लिए  भगवान  राम  ने  तीन  दिन  तक  प्रार्थना  की   और  उसने  नहीं  सुना   तब  भगवान  ने  अग्निबाण  का  संधान  किया  कि   अब  समुद्र  को  सुखाकर   रास्ता  लेंगे   l   इससे  दसों   दिशाओं  में  हाहाकार  मच  गया   तब  सब  देवता , ऋषिगण    उपस्थित  हुए  ,  समुद्र  देवता  ने  उन्हें   पुल   बनाने  का  उपाय  बताया   l   फिर   अग्निबाण    को     भगवान  ने  निर्जन  क्षेत्र  में  छोड़ा  ,  कहते  हैं  वही  क्षेत्र  अब  मरुस्थल  है  l   इसी  तरह   पौराणिक  युद्धों  में  जब  ब्रह्मास्त्र  का  प्रयोग  होता  था  तब  सारे  संसार  में  हाहाकार  मच  जाता  था    जीव जंतु , वनस्पति   सब  कुछ  नष्ट  होने  लगता  था   तब  देवतागण  आकर  दोनों  पक्षों  को  समझाते  ,  प्राणी मात्र  की  रक्षा  का  उपदेश  देते  तब  वे  अपने -अपने  बाण  वापस  बुला  लेते  थे   l   आज  भी  संसार  के  किसी  न  किसी  कोने  में  बड़े - बड़े  प्रयोग  होते  है    जिनकी  प्रतिक्रिया  स्वरुप  वातावरण  दूषित  होता  है   लेकिन  अब  संवेदना ,  करुणा  का  महत्त्व    समझाने    भगवान  नहीं  आते  ,  अब  मनुष्यों  को  स्वयं  जागरूक  होना  पड़ेगा    l