प्रसंग है ---- डाकुओं के आत्मसमर्पण के संबंध में विनोबा भावे और पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी के परस्पर विचार - विमर्श का l बात उन दिनों की है जब विनोबा जी पूरे देश की पद यात्रा पर निकले थे और तब कश्मीर में थे तभी उन्हें मशहूर डाकू मानसिंह के पुत्र तहसीलदार सिंह का पत्र मिला , वह तब नैनी जेल में था और उसे फाँसी की सजा सुनाई जा चुकी थी l उसने लिखा था कि वह मरने से पहले विनोबा जी के दर्शन करना चाहता है l विनोबा जी ने अपने प्रतिनिधि यदुनाथ सिंह को बातचीत के लिए भेजा l यदुनाथ सिंह नैनी गए , वहां से चम्बल के बीहड़ों में गए l वहां डाकुओं ने उनके बसमने प्रस्ताव रखा की यदि विनोबा जी इस क्षेत्र की यात्रा करें तो कई डाकू आत्म -समर्पण कर सकते हैं l डाकुओं की समस्या उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में ही सर्वाधिक थी l विनोबा जी ने इस सम्बन्ध में अनेक मनस्वी व्यक्तियों से विचार विमर्श किया और इसी क्रम में उन्होंने आचार्य श्री से भी बातचीत की और कहा कि डाकू नेक चलनी का भरोसा देते हैं उन्हें सुधरने का अवसर देना चाहिए विनोबा जी का कहना था कोई जन्म से डाकू नहीं होता यह तो शोषण , क्रूरता और संवेदनहीनता का परिणाम है l इस पर आचार्य श्री का कहना था कि जिसने अपराध किया है , उसे दंड मिलना ही चाहिए l समाज के प्रति अपराध करने वाले को क्षमा नहीं किया जाये l उनका कहना था कि अपराध को क्षमा कर देने से एक गलत परिपाटी जन्म लेगी l माफ़ी मांगकर छूट जायेंगे , यह सोचकर दूसरे लोग भी अपराध में प्रवृत हो सकते हैं l विनोबा जी का कहना था कि आप आचार्य हैं , आपको विदित होगा कि प्राचीन काल में भी हृदय परिवर्तन के बाद क्षमा का विधान रहा है , वाल्मीकि और अंगुलिमाल इसके सबसे बड़े उदाहरण हैं l आचार्य श्री ने कहा ----- ' वे घटनाएं अपवाद थीं और क्षमा के बाद उन्होंने घनघोर प्रायश्चित भी किया था लेकिन डाकुओं को क्षमा के बाद हम सम्मानित जीवन दे रहे हैं l आचार्य श्री ने कहा ------- आपके प्रयत्न महान हैं लेकिन इन प्रयत्नों की सफलता में कुछ खतरे भी हैं l क्षमा मिल जाने के बाद डाकू रहेंगे तो ग्राम समाज में ही , उनका रौब - दाब भी रहेगा l सामान्य नागरिक स्वीकार कर लेने पर भविष्य में उनका राजनीतिक उपयोग भी हो सकता है l चुनाव आदि के समय लोगों को अपने पक्ष में वोट डलवाने के लिए उनकी स्थिति का उपयोग किया जा सकता है l विनोबा जी ने इस आशंका को सही माना लेकिन क्षमादान को स्थगित नहीं किया l आचार्य श्री के परामर्श पर आज चिन्तन करने की आवश्यकता है l