7 November 2019

WISDOM ------ सामूहिक विवेक का जागरण जरुरी है

 कहते  हैं  कि   एक  बार  ' कामदेव '  ने  लोगों  को  परेशान    करने  की  ठानी   और  अपनी  माया  चारों  और  फैला  दी  l   वह  लोगों  के  मन  में  घुस  गया  और  हर  एक  के  मन  में  असीम   कामनाएं  भड़का  दीं  l  पहले  लोगों  की  आवश्यकताएं  सीमित   थीं  वे  संतुष्ट  रहते  थे   किन्तु  अब  प्रतिस्पर्धा  बढ़  गई  ,ईर्ष्या - द्वेष  बढ़  गया ,  लोगों  को  उचित - अनुचित  का  ज्ञान  नहीं  रहा   l   चारों  और  अशांति  फ़ैल  गई   l
  कामदेव  अपने  इस  कौतुक  पर  बड़ा  प्रसन्न  था  ,  उसने  किसी  को  भी  नहीं  छोड़ा  l
    कहते  हैं  धरती  की  इस  करुण   स्थिति  को  देखकर  शिवजी  ने  अपना  तीसरा  नेत्र  खोला  और  कामदेव  को  भस्म  कर  दिया   l तब  संसार  को  शांति  मिली  l
  पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य  जी  का  कहना  है  --- ' आज  कामदेव  ने  मानवीय  चेतना   को  दूषित  कर  दिया  है  l  स्वार्थ  बढ़  रहा  है , पाप  प्रचंड  हो  रहा  है  , नरक  की  ज्वालाएं हर  क्षेत्र  में    धधकती  जा  रही  हैं  l  यदि  महाकाल  का  तीसरा  नेत्र  नहीं  खुला  तो  स्थिति  और  भयंकर  हो  जाएगी   l   यह  तीसरा  नेत्र  और  कुछ  नहीं ,--'- सामूहिक  विवेक  '     ही  है     l   इसके  जागने  से  अज्ञान  का  अंधकार  मिटेगा   और  आज  की    असंख्य  समस्याओं  का  समाधान  निकलेगा   l  गायत्री  परिवार  का   ' विचार  क्रांति  अभियान '  एक  प्रकार  से  महाकाल  का  तृतीय  नेत्र  ही  है  l विचार  परिष्कृत  होंगे  विवेग  जागेगा   तभी  स्वस्थ  समाज  का  निर्माण  होगा  l