प्रसिद्ध कवि इकबाल ने कहा है ---- यूनान , मिस्र और रोमा , सब मिट गए जहाँ से l
अब तक मगर है बाकी, नाम - ओ--निशाँ हमारा l l
कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी l
सदियों रहा है दुश्मन , दौर - ए - जहाँ हमारा l l
भारतीय संस्कृति को मिटाने के लिए बहुतों ने प्रयत्न किये , षड्यंत्र किये परन्तु इसे मिटाया जा सकना संभव नहीं क्योंकि भारतीय संस्कृति का आधार आध्यात्मिक है l इसकी नींव ऋषियों की तपस्या की ऊर्जा से रखी गई है l यही कारण है कि भारत के गुलाम होने पर भी स्वामी विवेकानंद अमेरिका में भारतीय संस्कृति का डंका बजा सके l
स्वामी विवेकानंद कहा करते थे ---- आदर्श को पकड़ने के लिए एक सहस्त्र बार आगे बढ़ो और यदि फिर भी असफल हो जाओ तो एक बार नया प्रयास अवश्य करो l इस आधार पर सफलता सहज ही निश्चित हो जाती है l
अब तक मगर है बाकी, नाम - ओ--निशाँ हमारा l l
कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी l
सदियों रहा है दुश्मन , दौर - ए - जहाँ हमारा l l
भारतीय संस्कृति को मिटाने के लिए बहुतों ने प्रयत्न किये , षड्यंत्र किये परन्तु इसे मिटाया जा सकना संभव नहीं क्योंकि भारतीय संस्कृति का आधार आध्यात्मिक है l इसकी नींव ऋषियों की तपस्या की ऊर्जा से रखी गई है l यही कारण है कि भारत के गुलाम होने पर भी स्वामी विवेकानंद अमेरिका में भारतीय संस्कृति का डंका बजा सके l
स्वामी विवेकानंद कहा करते थे ---- आदर्श को पकड़ने के लिए एक सहस्त्र बार आगे बढ़ो और यदि फिर भी असफल हो जाओ तो एक बार नया प्रयास अवश्य करो l इस आधार पर सफलता सहज ही निश्चित हो जाती है l