9 October 2018

WISDOM ------ सुख - शांति से जीना है तो जीवन जीने का ढंग रूपांतरित करना होगा

 संसार  में   ऐसे  बहुत  लोग  हैं    जिनके  पास  दूसरों  की   कमियां  निकलना ,  दूसरों  की  निंदा  करना ,  उन्हें   नीचा  दिखाना  ही  सबसे  बड़ा  काम  है  l  ऐसे  लोगों  को  बदला  नहीं  जा  सकता   , लेकिन  यदि  हम  अपने  जीवन  जीने  के  ढंग  को  रूपांतरित  कर  लें ,  अपने  आत्मबल  को  मजबूत  बना  लें  तो  उनके  सारे   प्रयास   विफल  हो  जायेंगे  ,  हमें  प्रभावित न  कर  सकेंगे  और  हम   अपने  आनंद    में  मग्न  रहेंगे  l 
  इसे  समझाने   की  एक    कथा  है ----     पहाड़ियों  के  नीचे  की   घाटियों   में  बसा  एक  गाँव  था  l  उस  गाँव  के  लोग  बड़े  कष्ट  में  थे  l  वर्षा  होती ,  नदियों  में  बाढ़  आती  तो  सब  खेती - बारी  नष्ट  हो  जाती ,  जानवर  बह  जाते , बच्चे  डूब  जाते , आंधी  आती  तो  पहाड़  से  पत्थर  गिरते , लोग  दब  कर  मर  जाते  l  उस  गाँव  के  लोगों  ने  यह  मान  लिया  था  ऐसा  कष्टप्रद  जीवन  उनके  पुरखों  ने  जिया  , अब  वे  जी  रहे  हैं  ,  उनके  बाद  उनके  बच्चे  भी  ऐसी  मुसीबत  की  गाथा  कहकर  जीवन  जीने वाले  हैं  l 
           लेकिन   एक    दिन  एक  यात्री  उस  पहाड़ी  गाँव  में  पहुंचा  l  उसने  उन्हें  समझाया   कि  तुम  सब  नासमझी  का  जीवन  जी  रहे  हो  l  तुम  सब  इस  खाईनुमा  घाटी  को  छोड़ो  और  अपने  मकान  थोड़ी  ऊँचाइयों  पर  बनाओ  l  ये  जो  चारों  और  सुन्दर  पहाड़  हैं  उनके  उतार  पर  अपने  मकान  बनाओ  l 
 पुराने  जीवन  के  ढंग  को  बदलने  के  लिए  बड़ी  हिम्मत  चाहिए  l  गाँव  वालों  ने  अनेक  तर्क  किये  कि  वर्षा ,  आंधी , बाढ़  को  रोका  नहीं  जा  सकता  ,  कैसे  समस्या   हल  होगी  ?  यात्री  ने  कहा ,  ऊंचाई  पर  मकान  बनने  से  नीचे  घाटी  वाली  समस्या  नहीं  रहेंगी ,  समस्याओं  का  स्वरुप  असहनीय  नहीं  रहेगा  l    गाँव  के  लोग  हिम्मती  थे  l  उन्होंने  अपने  जीवन में ,  अपने  मकानों  की  स्थिति  में  परिवर्तन  कर  लिया  इस  बदली  हुई  स्थिति  से  उन्हें  बड़ा  आश्चर्य  हुआ  ------- वर्षा  खूब  हुई ,    नदियाँ  भी  उफनी ,  आंधियां  भी  उठी ,  पहाड़  से  पत्थर  भी  गिरे    लेकिन  अब  उनके  मकान  न  बहे ,  बच्चे  भी  नहीं  डूबे,   जानवर  भी  सुरक्षित  रहे   और  पत्थरों  से  कोई  दबा  भी  नहीं      क्योंकि  उनके  जीवन  जीने  का  ढंग  रूपांतरित   हो  चुका  था  l  उन्होंने  अपने  इस  जीवन  का  भरपूर  आनंद  मनाया  l