संसार में ऐसे बहुत लोग हैं जिनके पास दूसरों की कमियां निकलना , दूसरों की निंदा करना , उन्हें नीचा दिखाना ही सबसे बड़ा काम है l ऐसे लोगों को बदला नहीं जा सकता , लेकिन यदि हम अपने जीवन जीने के ढंग को रूपांतरित कर लें , अपने आत्मबल को मजबूत बना लें तो उनके सारे प्रयास विफल हो जायेंगे , हमें प्रभावित न कर सकेंगे और हम अपने आनंद में मग्न रहेंगे l
इसे समझाने की एक कथा है ---- पहाड़ियों के नीचे की घाटियों में बसा एक गाँव था l उस गाँव के लोग बड़े कष्ट में थे l वर्षा होती , नदियों में बाढ़ आती तो सब खेती - बारी नष्ट हो जाती , जानवर बह जाते , बच्चे डूब जाते , आंधी आती तो पहाड़ से पत्थर गिरते , लोग दब कर मर जाते l उस गाँव के लोगों ने यह मान लिया था ऐसा कष्टप्रद जीवन उनके पुरखों ने जिया , अब वे जी रहे हैं , उनके बाद उनके बच्चे भी ऐसी मुसीबत की गाथा कहकर जीवन जीने वाले हैं l
लेकिन एक दिन एक यात्री उस पहाड़ी गाँव में पहुंचा l उसने उन्हें समझाया कि तुम सब नासमझी का जीवन जी रहे हो l तुम सब इस खाईनुमा घाटी को छोड़ो और अपने मकान थोड़ी ऊँचाइयों पर बनाओ l ये जो चारों और सुन्दर पहाड़ हैं उनके उतार पर अपने मकान बनाओ l
पुराने जीवन के ढंग को बदलने के लिए बड़ी हिम्मत चाहिए l गाँव वालों ने अनेक तर्क किये कि वर्षा , आंधी , बाढ़ को रोका नहीं जा सकता , कैसे समस्या हल होगी ? यात्री ने कहा , ऊंचाई पर मकान बनने से नीचे घाटी वाली समस्या नहीं रहेंगी , समस्याओं का स्वरुप असहनीय नहीं रहेगा l गाँव के लोग हिम्मती थे l उन्होंने अपने जीवन में , अपने मकानों की स्थिति में परिवर्तन कर लिया इस बदली हुई स्थिति से उन्हें बड़ा आश्चर्य हुआ ------- वर्षा खूब हुई , नदियाँ भी उफनी , आंधियां भी उठी , पहाड़ से पत्थर भी गिरे लेकिन अब उनके मकान न बहे , बच्चे भी नहीं डूबे, जानवर भी सुरक्षित रहे और पत्थरों से कोई दबा भी नहीं क्योंकि उनके जीवन जीने का ढंग रूपांतरित हो चुका था l उन्होंने अपने इस जीवन का भरपूर आनंद मनाया l
इसे समझाने की एक कथा है ---- पहाड़ियों के नीचे की घाटियों में बसा एक गाँव था l उस गाँव के लोग बड़े कष्ट में थे l वर्षा होती , नदियों में बाढ़ आती तो सब खेती - बारी नष्ट हो जाती , जानवर बह जाते , बच्चे डूब जाते , आंधी आती तो पहाड़ से पत्थर गिरते , लोग दब कर मर जाते l उस गाँव के लोगों ने यह मान लिया था ऐसा कष्टप्रद जीवन उनके पुरखों ने जिया , अब वे जी रहे हैं , उनके बाद उनके बच्चे भी ऐसी मुसीबत की गाथा कहकर जीवन जीने वाले हैं l
लेकिन एक दिन एक यात्री उस पहाड़ी गाँव में पहुंचा l उसने उन्हें समझाया कि तुम सब नासमझी का जीवन जी रहे हो l तुम सब इस खाईनुमा घाटी को छोड़ो और अपने मकान थोड़ी ऊँचाइयों पर बनाओ l ये जो चारों और सुन्दर पहाड़ हैं उनके उतार पर अपने मकान बनाओ l
पुराने जीवन के ढंग को बदलने के लिए बड़ी हिम्मत चाहिए l गाँव वालों ने अनेक तर्क किये कि वर्षा , आंधी , बाढ़ को रोका नहीं जा सकता , कैसे समस्या हल होगी ? यात्री ने कहा , ऊंचाई पर मकान बनने से नीचे घाटी वाली समस्या नहीं रहेंगी , समस्याओं का स्वरुप असहनीय नहीं रहेगा l गाँव के लोग हिम्मती थे l उन्होंने अपने जीवन में , अपने मकानों की स्थिति में परिवर्तन कर लिया इस बदली हुई स्थिति से उन्हें बड़ा आश्चर्य हुआ ------- वर्षा खूब हुई , नदियाँ भी उफनी , आंधियां भी उठी , पहाड़ से पत्थर भी गिरे लेकिन अब उनके मकान न बहे , बच्चे भी नहीं डूबे, जानवर भी सुरक्षित रहे और पत्थरों से कोई दबा भी नहीं क्योंकि उनके जीवन जीने का ढंग रूपांतरित हो चुका था l उन्होंने अपने इस जीवन का भरपूर आनंद मनाया l