पुराणों की एक कथा है ---- श्रुतायुध के पास शंकर जी के वरदान से प्राप्त एक अमोघ गदा थी l उसके तप से प्रसन्न होकर भगवान ने यह गदा उसे इस शर्त पर दी थी कि वह उसका प्रयोग अनीति पूर्वक नहीं करे l यदि वह ऐसा करेगा तो वह लौटकर उसी का विनाश कर देगी l महाभारत के युद्ध में जब श्रुतायुध को अर्जुन से युद्ध करना पड़ा l तब सारथी का कार्य करते हुए भगवान कृष्ण किसी बात पर हँस पड़े l श्रुतायुध को लगा कि वे उसकी कुरूपता पर हँस रहे हैं l उसने आवेश में आकर अपनी अमोघ गदा श्रीकृष्ण पर फेंक चलाई l उसे यह भी ज्ञात न रहा कि उसके साथ क्या शर्त जुड़ी है l गदा कृष्ण तक न पहुंची और बीच से ही वापस लौटकर श्रुतायुध पर गिर पड़ी l उसका शरीर क्षत - विक्षत होकर भूमि पर गिर पड़ा l महाभारत के युद्ध को संजय अपनी दिव्य द्रष्टि से देख रहे थे l यह समाचार सुनाते हुए बोले ---- ' राजन ! मनुष्य को समस्त शक्तियां श्रुतायुध की गदा की तरह सदप्रयोग के लिए मिली हैं , जो उन्हें अनीति पूर्वक प्रयोग करते हैं , वे अपने पाप से आहत होकर इसी तरह स्वयं ही विनाश को प्राप्त होते हैं l
8 August 2019
WISDOM -----
मनुष्य कितने बड़े संकल्प कर सकता है और उन संकल्पों को साकार भी कर सकता है l लेकिन यदि यह सब अपने अहम् की तृप्ति के लिए किया है तो यह मनुष्य की बहुत बड़ी भूल है l जब कोई संकल्प दूसरों के हित का ध्यान रखकर किया जाता है , उसमे ' बहुजन हिताय , बहुजन सुखाय ' का सपना होता है तो उसकी दिशा सही मानी जाती है , उसके लिए किये गए प्रयासों में सफलता मिलती है और जीवन सार्थक होता है l संकल्प के पीछे यदि स्वार्थ और अहंकार है तो जीवन के सार्थक होने का प्रश्न ही नहीं होता l
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