10 March 2022

WISDOM --------

   कबीर दास  जी  कहते  हैं ---- " बड़ा  हुआ  तो  क्या  हुआ   जैसे  पेड़  खजूर ,  पंछी  को  छाया  नहीं  फल  लागे   अति  दूर   l  "  बड़प्पन  खजूर  जैसा  वृक्ष  नहीं  है  ,  जो  केवल  दीखने   में   बड़ा  होता  है  , पर  जिसकी  कोई  छाया  नहीं  होती   l पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं  ---- ' बड़प्पन  एक  मानवीय  गुण   है   ,  और  बड़ा  होना  सामान्य  बात  नहीं  है   l   बड़प्पन  किसी  को  सुख  देने  में  है  ,  लाभ  देने  में  है  ,  किसी  को  दो  पल   की  ख़ुशी , शांति  देने  में  है  l   '  आज  संसार   की  जो  परिस्थितियां  हैं  उसमे  ' बड़प्पन '  कहीं  खो  गया  है  l   प्रजा  हो  या   राजा  ,  सभी  एक  चक्रव्यूह  में  फँसे   हैं  l   पहले  दुनिया  की  विभिन्न   शासकों  ने  यह  दिखाया  कि   उन्हें  प्रजा  के  जीवन  की  ,  पर्यावरण  की  बहुत  चिंता  है   ,  सबको  वैक्सीन  लगे , सब  गाइड लाइन  का  पालन  हो  ताकि   प्रजा  का  जीवन  सुरक्षित  हो    लेकिन  अब  बिलकुल  विपरीत  हो  गया  ,  युद्ध  में  बमों  से , मिसाइल  आदि     घातक  अस्त्रों  से   शहरों  को  तबाह  कर  दो , पर्यावरण  प्रदूषित  हो  जाये   l   इन  सबसे  बेगुनाह  प्रजा  का  जीवन  और  अस्तित्व  खतरे  में  हो  गया   l   आज  मनुष्य  को  यह  समझना  होगा  कि   वह  आखिर  चाहता  क्या  है   ?    सामान्य  मनुष्य  की  चाहत  का  कोई    महत्व   नहीं  है  ,  जो  शक्तिशाली  हैं   उनकी  मानव  जाति   के  प्रति  क्या    सोच  है   ,  उसी  पर  मानवता  का  भविष्य  निश्चित  होगा   l