19 February 2024

WISDOM -----

    पं . श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं --- ' इस  संसार  में  दैवी  और  आसुरी  दोनों  ही  शक्तियां   काम  करती  हैं  l  यह  देवासुर  संग्राम  सदा  जारी  रहता  है  l  इसमें  देव  पक्ष  का  समर्थन  करने  के  लिए  , उसकी  सुरक्षा  के  लिए  यह  आवश्यक  है  कि   असुर  पक्ष  का  विरोध  किया  जाये  , उससे  सावधान  रहा  जाये  और  उसे  नष्ट  किया  जाये  l  जैसे  खेत  को  पशु -पक्षियों  से  सुरक्षित  न  रखा  जाये   तो  वे  उसे  खा  जाएंगे  l  इसी  तरह  यदि  आसुरी  शक्तियों  से  न  बचा  जाए, उनका  प्रतिरोध  न  किया  जाए   तो  वे  धीरे -धीरे   दैवी  शक्तियों  पर  अपना  कब्ज़ा  करती   जाती  हैं  l  बुराई  छोटी  है  , यदि  यह  समझकर  उसकी  उपेक्षा  की  जाए  तो  वह  क्षय  रोग  की  तरह   चुपके -चुपके  अपना  कब्ज़ा  जमाती  है   और  एक  दिन  उसका  पूरा  आधिपत्य  हो  जाता  है  l  '               महाभारत  के  युद्ध  में  जब  अर्जुन   अपने  सामने  गुरु  द्रोणाचार्य , भीष्म  पितामह  और  अपने  सभी  बंधुओं  को  देखता  है   तो  युद्ध  करने  से  इनकार  कर  देता  है  , अपने  धनुष -बाण  नीचे  रख  देता  है  l  तब  भगवान  श्रीकृष्ण  ने  उसे  गीता  का  उपदेश  दिया   और  समझाया  कि   ये  कौरव  अन्याय  और  अधर्म  के  मार्ग  पर  हैं   l  यदि  अत्याचार  और  अन्याय  को  हम  नहीं  मिटाएंगे  तो  वे  हमें  मिटा  डालेंगे   l  इसलिए   अधर्म  का  नाश  और  धर्म  की  स्थापना   के  लिए  युद्ध  करो , कायर  नहीं  बनो  l   यह  महाभारत  तो  धरती  पर  लड़ा  गया  , एक  महाभारत  मनुष्य  का  अपनी  ही  दुष्प्रवृत्तियों   से  है  , अपने  भीतर  की   बुराइयों  का  ही  अंत  करना  है   क्योंकि  मनुष्य  की  तृष्णा , लालच , ईर्ष्या , द्वेष  , अहंकार  ,  महत्वाकांक्षा   ----ये  सब  दुष्प्रवृत्तियाँ  ही  धरती  पर  महाभारत  को  जन्म  देती  हैं  l