11 June 2022

WISDOM ------

   किसी  व्यक्ति  के  जीवन  में  या  राष्ट्र  में  जो  भी  घटनाएँ  घटती  हैं  वे  हमें  कुछ  सिखाने  के  लिए  आती  हैं  ,  हम  उनसे  कुछ  शिक्षा  लेते  हैं  या  नहीं  ये  हमारे  विवेक  पर  निर्भर  है   , जैसे  हम  अपनी  आपसी  फूट  और  मतभेदों  की  वजह  से  युगों  तक  गुलाम  रहे  l  अब  यह  हमारे  विवेक  पर  निर्भर  है  कि  हम   अपनी  गलती  सुधारते  हैं  या  उसे  दोहराते  हैं   l  इसी  सत्य  को  समझाने  वाली  एक  कथा  है ---------  बहेलिया  जाल  फैलाता   बटेरों  का  समूह  उसे  उठाता  ,  झाड़ी  में  उलझाता   और  निकल  भागता  l   बहेलिया  नित्य   खाली  हाथ  घर  वापस  लौट  जाता   l   पत्नी  ने  कहा --- ' आज  भी   खाली  हाथ  लौट  आए  l l '  उसने  कहा ---- ' पक्षियों    में  संगठन  ही  ऐसा  है   कि  जाल  डालता  हूँ  ,  वे  उसे  उठाकर  ,  झाड़ी  में  उलझाकर   निकल  भागने  में  सफल  हो  जाते  हैं  l   '  पत्नी  ने  कहा ---- " धैर्य  रखो  !   उनमे  फूट  पड़ने  का  इंतजार  करो   l  देखना  सब  फँसेंगे  l  " एक  दिन  हुआ  भी  ऐसा  ही   l  बहेलिया  ने  दाना  डाला   और  जाल  फैलाया   l  बटेरों  का  झुंड  आया  और  सभी  दाना  चुगने  में  लग  गए   l  भूल  से   एक  बटेर  ने   दूसरे  के  सिर  पर  पैर  रखकर  कुलाँच  मारी  l  विवाद  शुरू  हो  गया   l  विवाद  बढ़ते -बढ़ते   नौबत  मारामारी  की  आ  गई   l  दूसरा  बोला ---लगता  है   जैसे  जाल  तू  ही  उठाता  है   l  पहले  ने  पलट  कर  जवाब  दिया  -- और  क्या  तू  उठाता  है   l   ' यदि  मैं  न  उठाऊं    तो  तेरी  क्या  बिसात   !  बस  विवाद  बढ़ता  ही  गया   l  एक   दूसरे   के  समर्थन  में   झुंड  दो  दलों  में   विभाजित  हो  गया  l  बहेलिया  समझ  गया  कि  अब  काम  होने  वाला  है   l  बटेर  विवाद  में  उलझे  रहे   और  जाल  उठाना  भूलकर   एक -एक  कर  जाल  में  उलझते  गए   l  जब  सब  जाल  में  फँस  गए   तो  बहेलिए  ने  जाल  समेटा  और  चल  दिया   l  अब  बटेर  पछता  रहे  थे   कि  व्यर्थ  के  विवाद  और  झगड़े  में  पड़कर   वे  सब  जाल  में  फँस  गए  l  बहेलिए  को  पत्नी  की  बात  याद  आ  गई   कि   विवाद  होने  तक  इंतजार  करो  ,  संगठन  जरुर  बिखरेगा  l