23 May 2020

WISDOM ---- सद्बुद्धि के लिए प्रार्थना करें

  जब  दसों   दिशाओं  में  रावण  का  आतंक  था  ,  आसुरी  शक्तियों   की  प्रमुखता  थी   l   रावण  इस  बात  को  अच्छी  तरह  जनता  था  कि   यदि  ऋषियों  ने  यज्ञ , हवन   आदि  किया  , प्रार्थना - पूजा  की  तो  उसकी  आसुरी  शक्ति  कमजोर  पड़   जाएगी   l   इसलिए  उसने  ऋषियों  के  यज्ञ , हवन  - पूजन  को  अपवित्र  करना  ,  उनमे  व्यवधान  डालना   शुरू  कर  दिया  था  l   इसी  तरह  हिरण्यकश्यप  ने  स्वयं  को  भगवान    मानकर   सारे  धार्मिक  स्थलों  को  बंद  कर के   जनता  को  अपनी ( हिरण्यकश्यप ) की  पूजा  करने  को विवश  किया  l
 आज  संसार  पर  आसुरी  शक्तियों  का  ऐसा  असर  हो  गया   कि   सभी  धर्मों  के  धार्मिक  स्थल  बंद  हो  गए   l   उनके  आसपास    जो  बहुत  से   छोटे - छोटे  व्यवसायी  थे  ,  ईश्वर  की  कृपा  से  जिनके  परिवार  का  भरण - पोषण  हो  रहा  था  ,  उन  सब  पर  भी  गाज  गिर  गई  l   आसुरी  शक्तियां  इसी  तरह  कमजोर  को  परेशान    कर   चारों  ओर   भय  व्याप्त  कर  देती  हैं  l   जहाँ  से  भी  थोड़ी - बहुत  सकारात्मक  ऊर्जा  उत्पन्न  होती  है    उसे  बंद  कर  नकारात्मक  ऊर्जा    जैसे  नशा  आदि  को  प्रश्रय  देती  हैं   
  इन  समस्याओं  से  निपटने  के  लिए  जागरूकता  जरुरी  है  ,  सद्बुद्धि  ही  इसका  एकमात्र  हल  है  l 

WISDOM ------

   धन  का  आकर्षण  बड़ा  जबरदस्त  होता  है   l   जब  लोभ  सवार  होता  है  ,  तो    मनुष्य    अँधा  हो  जाता  है   और  पाप - पुण्य   में   कुछ  भी  फर्क  नहीं  देखता  है   l   लोभ  के  आते  ही  पाप  की  भावनाएं  बढ़ती  हैं   और   ऐसा  व्यक्ति  स्वयं  भी  उस  पाप  के  परिणाम  से  नष्ट  हो  जाता  है  l 
  एक  कथा  है  ------ तीन    बुद्धिमान  व्यक्ति   आपस  में  विचार - विमर्श  कर  रहे  थे   कि   दुनिया  में  इतना  पाप  कैसे  बढ़ता  जा  रहा  है  ,  जिसके  कारण  लोग  इतना   दुःखी   हैं   l   यह  पता  करें  कि   आखिर  यह  पाप  कहाँ  से  उत्पन्न  होता  है   ?  इस  पाप  का  बाप  कौन  है  ?    इस  प्रश्न  के  उत्तर  की  खोज  में  वे  आगे  बढ़ते  गए  l  उन्हें  एक  वृद्ध  अनुभवी  पुरुष  मिला   l   उन्होंने  उससे  प्रार्थना  की  कि   वह  उन्हें  पाप  के  बाप  का  पता  बता  दे  l   वृद्ध  ने  ऊँगली  का  इशारा  करते  हुए   पर्वत  की  एक  गुफा  दिखाई   और  कहा  ---- "  देखो  उस  कंदरा   में  पाप  का  बाप  रहता  है  l   पर  देखो  !  सावधान  वह  तुम्हे  भी  पकड़  न  ले  l
      तीनो  मित्रों  ने  गुफा  में  पहुंचकर  देखा  ,  वहां  सोने  के  बड़े - बड़े  ढेर  हैं  ,  हजारों  मन  सोना  बिखरा  पड़ा  है  l  उन्होंने  निश्चय  किया  कि   रात्रि  में  इस  सोने  को  ले  चलेंगे ,  कोई  नहीं  देख  सकेगा  l  अभी  भोजन  कर  के    आराम  कर  लें  l
तीनों  के  मन  में  स्वर्ण  का  लालच  आ  गया  ,  वे  सोचने  लगे  कि   दो  मर  जाएँ  तो  सारा  सोना  उसे  मिल  जाये  l    जो  दो  साथी  भोजन  लेने  गए  थे  ,  उनमे  से  एक  ने  दूसरे  को  तलवार  से  मार  डाला   और  भोजन  सामग्री  में  जहर  मिला  दिया  l   तीसरा  साथी  और  भी  होशियार  था  ,  उसने   उस  साथी  के  आते  ही  उस  पर  वार  कर  उसे  मार  डाला   और  अब  वह  बड़ा  प्रसन्न  था  कि  सारा  सोना  उसे  मिल  जायेगा  l   उसने  भरपेट  भोजन  किया  l   भोजन  में  जहर  था  ,  उसके  भी  हाथ - पैर    ऐंठने  लगे  और  वह  भी  मर  गया   l   लोभ  के  आते  ही  तीनो  के  मन  में  पाप  आ  गया   और  इस  पाप  ने  ही  उन  तीनों  का  अंत  कर  दिया  l