जब दसों दिशाओं में रावण का आतंक था , आसुरी शक्तियों की प्रमुखता थी l रावण इस बात को अच्छी तरह जनता था कि यदि ऋषियों ने यज्ञ , हवन आदि किया , प्रार्थना - पूजा की तो उसकी आसुरी शक्ति कमजोर पड़ जाएगी l इसलिए उसने ऋषियों के यज्ञ , हवन - पूजन को अपवित्र करना , उनमे व्यवधान डालना शुरू कर दिया था l इसी तरह हिरण्यकश्यप ने स्वयं को भगवान मानकर सारे धार्मिक स्थलों को बंद कर के जनता को अपनी ( हिरण्यकश्यप ) की पूजा करने को विवश किया l
आज संसार पर आसुरी शक्तियों का ऐसा असर हो गया कि सभी धर्मों के धार्मिक स्थल बंद हो गए l उनके आसपास जो बहुत से छोटे - छोटे व्यवसायी थे , ईश्वर की कृपा से जिनके परिवार का भरण - पोषण हो रहा था , उन सब पर भी गाज गिर गई l आसुरी शक्तियां इसी तरह कमजोर को परेशान कर चारों ओर भय व्याप्त कर देती हैं l जहाँ से भी थोड़ी - बहुत सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है उसे बंद कर नकारात्मक ऊर्जा जैसे नशा आदि को प्रश्रय देती हैं
इन समस्याओं से निपटने के लिए जागरूकता जरुरी है , सद्बुद्धि ही इसका एकमात्र हल है l
आज संसार पर आसुरी शक्तियों का ऐसा असर हो गया कि सभी धर्मों के धार्मिक स्थल बंद हो गए l उनके आसपास जो बहुत से छोटे - छोटे व्यवसायी थे , ईश्वर की कृपा से जिनके परिवार का भरण - पोषण हो रहा था , उन सब पर भी गाज गिर गई l आसुरी शक्तियां इसी तरह कमजोर को परेशान कर चारों ओर भय व्याप्त कर देती हैं l जहाँ से भी थोड़ी - बहुत सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है उसे बंद कर नकारात्मक ऊर्जा जैसे नशा आदि को प्रश्रय देती हैं
इन समस्याओं से निपटने के लिए जागरूकता जरुरी है , सद्बुद्धि ही इसका एकमात्र हल है l