10 March 2024

WISDOM---

   संकल्प  की  शक्ति ----- महाराज  अनंगपाल  जिस  जल  से  स्नान  करते  थे  उसमें   प्रतिदिन  कोई न कोई   इत्र ,  चन्दन ,केवड़ा , गुलाब  की  सुवास  मिलाई  जाती  थी  ,  पर  उस दिन  के  जल  में  जो  मादकता ,  मधुरता  थी  , वैसी  पहले  कभी  नहीं  मिली  थी   l  महाराज  ने  परिचारिका  को  बुलाया  और  पूछा  ----"  आज  जल -कलश  में  कौन  सी   सुबास  मिलाई  गई  है  ? "  परिचारिका   ने  कहा --- " क्षमा  करें  महाराज  ,   एक  नई  परिचारिका  जो  कल  ही  नियुक्त  की  गई  थी  , उसने  आज  के  जल  का  प्रबंध  किया  ,  आज्ञा  हो  तो  उसे  सेवा  में  उपस्थित  करूँ  l "   महाराज  अनंगपाल  ने  उस  दूसरी  परिचारिका  से  पूछा   तो  वह  बोली  --- "  महाराज  उस  जल  में  कुछ  नहीं  मिलाया  था  , वह  जल  तो  मैं  अपने  मायके  से   लाई  थी  l "  महाराज   की  उत्सुकता  और  बढ़  गई   पूछने  लगे --- " तुम्हारा  मायका  कहाँ  है  , यह  जल  वहां  के  किस  कुएं  का  है  या  तालाब  का  जिसमें  कमल  खिले  हों   l  l  परिचारिका  ने  कहा --- "  मेरा  मायका  गंधमादन  पर्वत  की  तलहटी  में  है  l  वहां  एक  आश्रम  है  जिसमे  एक  योगी  रहते  है  l  उस आश्रम  के  समीप  के   एक  कुंड  का  यह  जल  है  l  महाराज  अनंगपाल  बहुत  प्रसन्न  हुए  और  परिचारिका  को  पारितोषिक  देकर  उस  आश्रम  की  ओर  चल  दिए  l   दो  दिन  की  लगातार  यात्रा  के  बाद  महाराज  वहां  पहुंचे  तो  देखा   वहां  की  प्रत्येक  वस्तु  उसी  सुगंध  से  परिपूर्ण  है  l  महाराज  बड़े  आश्चर्य चकित  हुए  और  योगी  को  प्रणाम  कर  पूछा ---- " महाराज  आपके   आश्रम  में  यह  भीनी -भीनी  सुगंध  कहाँ  से  आ  रही  है  l  "  योगी  ने  कहा --- " महाराज  !  इस  आश्रम   से  सौ  योजन  की   दूरी   पर  इस  पर्वत  पर  एक  वृक्ष  है  ,  मैं  सदैव  उसका  ध्यान  करता  हूँ  , यह  सुगंध  उसी   वृक्ष  की  है  l  "  योगी  ने  राजा  को  समझाया  कि  मनुष्य  संकल्प  बल  से  अपने  जीवन  को  ,  अपने  वातावरण  को  जैसा  चाहे  वैसा  बना  सकता   जैसा  वो  चाहे  l