30 January 2019

WISDOM------ सत्य , प्रेम , करुणा, सेवा , संवेदना , क्षमा आदि गुणों से युक्त व्यक्ति ही धार्मिक है l

 धर्म  ही  वह  तत्व  है  जिसके  कारण  मनुष्य  आकृति  के  साथ - साथ  प्रकृति  से  भी  मनुष्य  बन  पाता  है  l धर्म  के  अभाव  में   मनुष्य ,  मनुष्य  जैसा  दिख  अवश्य  सकता  है  ,  पर मनुष्य  हो  नहीं  सकता  l
धर्म  को  धारण  करने  वाला  व्यक्ति  सदा - सदा  के  लिए  अजेय  व  अभय  हो  जाता  है   l  ऐसे  व्यक्ति  की  प्रतिभा  और  पुरुषार्थ  से  सारी  वसुधा  निहाल  होती  है  ,  वे  व्यक्ति  और  समाज  को  ऊँचा  उठाने  में   अपनी  सारी  शक्तियां  लगा  देते  हैं   l  
  एक  बार  साम्यवादी   विचारधारा  के  एक  पाश्चात्य  विद्वान  महात्मा  गाँधी  के  पास   जा कर  बोले ---- ----" महात्माजी  ! जब  संसार  में  इतना  छल - कपट , अशांति  और  खून - खराबा  चल  रहा  है  ,  तब  भी  आप  धर्म  की  बात  करते  हैं  l  बुराइयाँ  और  रक्तपात  जितनी  तेजी  से  बढ़  रहे  हैं  ,  उसे देखते  हुए  धर्म  निहायत  बेकार  चीज  है  l  "
 बापू  ने कहा --- " महोदय  !  जरा  सोचिये  तो  सही  कि  जब  धर्म  की मान्यता  रहते  हुए  लोग  इतनी  अशांति  फैलाये  हुए  हैं ,  तो  उसके  न  रहने  पर  यह  कल्पना  सहज  ही  की  जा  सकती  है  कि  तब  संसार  की  क्या  दशा  होगी  ?  " इस  पर  उन  सज्जन  से कोई  जवाब  देते  नहीं  बना  l 
   महात्मा  गाँधी  ने  अपना  सम्पूर्ण  जीवन  सत्य  की  प्रयोगशाला  बना  दिया  था  l  सेवा  , परोपकार   और  प्रार्थना  का  उनके  जीवन  में  महत्वपूर्ण  स्थान  था   और  इन्ही  भावनाओं  के  कारण   वे  आजीवन   अहिंसा  के  धर्म  का  पालन  कर  सके   l