25 August 2020

WISDOM -----

  इस  संसार  में  अनेक  लोग  ऐसे  हैं   जो  अपने  अधिकारी ,   अमीरों  और  शक्ति संपन्न  लोगों  की  खुशामद  किया  करते  हैं   ताकि   कम    समय  और  कम  परिश्रम   में  उन्हें  अधिक  लाभ  मिल  जाये   लेकिन  जो  कर्मयोगी  हैं  ,  ईश्वर विश्वासी  हैं  , उनके  लिए    ' परमात्मा    पर्याप्त  है  l '   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ---' जिनके  पास  सब  कुछ  है  ,  सारा  ऐश्वर्य  है  ,  ईश्वर  के  बिना  वे  दरिद्र  दिखाई  देते  हैं   l   ऐसे  संपत्तिशाली   भी  मिले  ,  जिनके  पास   कुछ  भी  नहीं  है  ,  केवल  परमात्मा  है   l   '

 एक  पुरानी   कथा  है  ---- किसी  चारण  ने   एक  सम्राट  की  बहुत  तारीफ   की  l   उसकी   स्तुति  में   अनेक  सुन्दर  गीत  गाये  l  यह  सब  उसने  कुछ  पाने  की  लालसा  से  किया  l   उसकी  प्रशंसाओं  से  सम्राट  हँसता  रहा   फिर  उसने  स्तुतिगान  करने  वाले   उस  चारण  को  सोने  की  बहुत  सी   मुहरें    भेंट  की  l   उस  चारण  ने  जब  इन    मुहरों  पर  निगाह  डाली   तो  उसके  अंदर  कुछ  कौंध  गया   l   उसने  आकाश  की  और  कृतज्ञता  भरी  नज़रों  से  देखा  l   उन  मुहरों  को  देखकर  उसमें  न  जाने  कैसी  क्रांति  हो  गई  ,  अब  वह  चारण  न  रहा  ,  संत  बन  गया   l   बहुत  वर्षों  बाद   किसी  ने  उससे  पूछा  --- 'ऐसा  क्या  था  उन  मुहरों  में  ? '  वह  हँसा   और  बोलै  --- मुहरें  नहीं , वह  वाक्य  जादुई  था  ,  जो  उसमे  लिखा  था  l   उस  पर  लिखा  था ---- 'जीवन  की  सभी  आवश्यकताओं  के  लिए  परमात्मा  पर्याप्त  है  l  '