एक पेड़ पर अनेक उल्लू निवास करते थे l संयोगवश एक हंस उस पेड़ पर आ बैठा l दिन का समय था तो हंस बोला ---- " आज प्रकाश बहुत है , क्योंकि सूर्यदेव अपने प्रचंड रूप में हैं l " यह सुनकर उल्लू बोले ---- " प्रकाश का सूर्य से क्या लेना - देना है ? " हंस ने उल्लुओं को समझाया ---- " सूर्य देवता हैं , वे सारे संसार को प्रकाशित करते हैं और हमें गर्मी भी देते हैं l " परन्तु उल्लुओं को हंस की बात समझ में नहीं आई l उल्लुओं ने अपनी शंका का निवारण करने के लिए मध्यस्थता की बात कही और मध्यस्थता के लिए चमगादड़ को बुलाया गया l चमगादड़ ने तो प्रकाश बिलकुल भी नहीं देखा था l वह हंस से बोला --- " यह तुम नई बात कहाँ से ले आए ? प्रकाश क्या होता है ? इसका सूर्य से क्या लेना - देना है ? तुम अपनी मूर्खतापूर्ण बकवास बंद करो l जब हंस ने उसे समझाने की कोशिश की तो चमगादड़ और उल्लू , हंस पर झपट पड़े l हंस किसी तरह जान बचाकर भागा l उड़ते - उड़ते हंस ने कहा ---- " सत्य को बहुमत न भी मिले तो भी सत्य , सत्य ही रहता है l परन्तु यदि बहुमत मूर्खों का हो तो समझदार व्यक्ति को उन्हें समझाने का प्रयत्न नहीं करना चाहिए l इससे मात्र अपनी ही ऊर्जा नष्ट होती है l "
15 November 2020
WISDOM -----
अच्छे - बुरे विचारों से केवल हम ही नहीं , यह धरती भी प्रभावित होती है l धरती पर ऐसे स्थानों की कमी नहीं , जो अपने बुरे प्रभाव के लिए कुख्यात रहे हों l महाभारत के युद्ध के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपने दूतों को भेजा और किसी ऐसे स्थान के चयन की बात कही , जिसका इतिहास कुख्यात हो l एक स्थान पर एक भाई ने अपने ही भाई की हत्या कर दी थी l भगवान श्रीकृष्ण ने सोचा कि महाभारत जैसे युद्ध के लिए यही स्थान उपयुक्त हो सकता है l उन्हें डर था कि महाभारत भाई - भाई के बीच का संग्राम है , कहीं ऐसा न हो कि उनका प्रेम बीच में ही उमड़ आए और लड़ाई अधूरी रह जाए l वे चाहते थे कि सत्य की असत्य पर विजय हो l क्रूरता मरे और निर्दोष सरलता की जय हो l अत: उन्हें ऐसी युद्ध भूमि की तलाश थी , जो अपने कुकृत्यों से वहां के वातावरण को बुरी तरह प्रभावित करती हो l और ऐसी भूमि के रूप में कुरुक्षेत्र का चयन हुआ l महाभारत के लिए कहा जाता है --- ' न भूतो , न भविष्यति l '