6 November 2019

WISDOM -----

 पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य  जी  ने   अपने  एक  लेख  में  लिखा  था ----  ' हम  राजनीति   में  भाग  क्यों  नहीं  लेते  ?    आज  के  दौर  में   राजनीति   से  कहीं  अधिक  आवश्यक  समाजसेवा  है  l   समाज  श्रेष्ठ  होगा  तो  सरकारें  स्वयं  ही  श्रेष्ठ  बन  जाएँगी  l '
    आचार्य श्री  ने  आगे  लिखा ---- " वर्तमान  में  चुनौती  स्वराज्य  को  सुराज्य  में  बदलने  की  है  l   इसके  लिए  समाज  की  जड़ों  में  पानी  देना  होगा  l  अच्छे  व्यक्तित्व  गढ़ने  होंगे  ,  जो  न  केवल  राजनीति    को  दिशा  दें  ,  बल्कि  सम्पूर्ण   राष्ट्रीय   व्यवस्था  में  अपना  सार्थक  योगदान  प्रस्तुत  करें   l   यह  अपने  देश  का  दुर्भाग्य  है  कि   लोग   सार्वजनिक  क्षेत्र  में  प्रवेश  तो  करना  चाहते  हैं  ,  पर  उनका  दृष्टिकोण  अति  संकीर्ण  होता  है  l   लोग  राजनीति   को  ही  सब  कुछ  समझ  लेते  हैं  l   यही  नहीं  अपनी  जीत  के  लिए   हर  संभव   छल - बल   और  कौशल  का  प्रयोग  भी  करते  हैं  l   कभी - कभी  तो  ये   मतदाताओं    में  मतिभ्रम  पैदा  कर  के  उपयुक्त  प्रत्याशियों  का  मार्ग  भी  अवरुद्ध  कर  देते  हैं  l  " 
  तुलसीदास  जी  ने  लिखा  है --- काला  नाग  चमकीला  होता  है  ,   पर  विष  से  भरा  होता  है  l   माँ  अपने  बच्चे  को  उससे  बचाती   है   कि   कहीं  वह  उसे  देखकर   उससे  खेलने  न  लगे  l   राजनीति   भी  कुछ  इसी  प्रकार  की  है  l   उसमे  मद   है  ,  अहंकार  के  विस्तार  हेतु  परिपूर्ण  गुंजाइश  है   l   अत :  वह  आकर्षित  करती  है  l
  आचार्य श्री  कहते  हैं --- " सामाजिक  , नैतिक  आंदोलन   ही  इस  आकर्षण   से  बचकर   राष्ट्र  निर्माण  की  प्रक्रिया  पूरी  कर  सकते  हैं  l  हजार  वर्ष  की  गुलामी  से  अपना  सब  कुछ  खो  बैठने  वाले  समाज  में  फैली  हुई  अनगिनत  बुराइयों  के  साथ   नैतिक , बौद्धिक  और  सामाजिक  पिछड़ेपन  को  दूर  किया  जाना   सबसे  बड़ा  काम  है   और  इसे  किसी  राजनीति   के  द्वारा  नहीं  ,  बल्कि  सामाजिक  सत्प्रवृत्तियों   के  द्वारा  ही  पूरा  किया  जा  सकता  है  l  जांत - पाँत   के  नाम  पर  हजारों  टुकड़ों  में  बंटे - बिखरे   समाज  को   एकता - समता   के  सूत्र  में  बाँधने  की  आवश्यकता  है  l  "