15 February 2022

WISDOM ----

   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ---- "कायरता  मनुष्य  का   बहुत  बड़ा  कलंक  है  l  कायर  व्यक्ति  ही  संसार  में   अन्याय , अत्याचार  तथा  अनीति  को  आमंत्रित  किया  करते  हैं   l   संसार  के  समस्त  उत्पीड़न  का   उत्तरदायित्व  कायरों  पर  है  l  "      जब  महाभारत  में   सात  महारथियों  ने  मिलकर  अभिमन्यु  का  वध  किया  था  ,  यह  कायरता  का  बीज  कलियुग  में    आते - आते  एक  विशाल  घना   वृक्ष  बन  गया  l   चाहें  छोटे  स्तर  पर  देखें    या  राष्ट्रीय   और  अंतर्राष्ट्रीय  स्तर  पर   देखें  ,  हर  तरफ  एक  ही  नजारा  है  ,  हर  ताकतवर  अपने  से  कमजोर   पर  अत्याचार  करता  है , उसको  मिटा  देना  चाहता  है  l   अपने  से   शक्तिशाली  से  तो  लड़ने  की  हिम्मत  नहीं  होती  ,   इसलिए  कमजोर   को  ही   उत्पीड़ित  कर  ऐसे  लोग  अपने  अहंकार  को  पोषित  करते  हैं  l   इसे  मानव  जाति   का   दुर्भाग्य  ही  कहा  जायेगा   कि   इतने  विकास  के  बाद  भी    मनुष्य  अंदर  से  टूटा   और  भयभीत  है   इसलिए  वह  लाशों  पर  राज  करना  चाहता  है   l   ये  लाशें  चाहें  घातक  हथियारों  से  मिटटी  में  मिल  गई  हों   या    चलती - फिरती  हों   , जिनकी  हर  तरह  के   प्रदूषण   के  कारण  चेतना  ही  मृत  हो  गई  है  l   अहंकारी   यदि   एक  पल  को   भी    यह  विचार  कर  ले  कि  वह  अमर  नहीं  है ,   अपनी   मृत्यु  को  याद  करे   तो  संभव  है  कि   उसकी  चेतना  जाग  जाये   l   सूफी  फकीर   शेख  सादी   के  वचन  हैं  ------- "  बहुत  समय  पहले  दज़ला   के  किनारे   एक  मुरदे   की  खोपड़ी  ने   कुछ  बातें   एक  राहगीर  से  कही  थीं  l   वह  बोली  थी  ----- ' ऐ   मुसाफिर  ,  जरा  होश  में  चल  l   मैं  भी  कभी  भारी   दबदबा  रखती  थी  l   मेरे  सिर   पर  हीरों  जड़ा   ताज  था  l   फतह  मेरे  पीछे - पीछे  चली   और  मेरे  पांव  कभी  जमीन   पर  न  पड़ते  थे  l   होश  ही  न  था   l   एक  दिन  सब  कुछ  खत्म   हो  गया  l   कीड़े  मुझे  खा  गए   और  आज  हर  पाँव   मुझे  बेरहम    ठोकर  मारकर  आगे  निकल  जाता  है   l   तू  भी  अपने  कानों  से   गफलत  की  रुई  निकाल  ले  ,  ताकि  तुझे    मुरदों   की  आवाज  से  उठने  वाली   नसीहत  हासिल  हो  सके   l  "