12 March 2021

WISDOM ------ एक रिश्ता भगवान से

    विपदाएं  तो  हर   किसी    के  जीवन  में  आती  हैं   l - अकेले  होने  पर   ये  विपदाएं  हमारे  लिए  समस्या  बन  जाती  हैं      परन्तु  यदि  इन  विपदाओं  में   भगवान  के  प्रति  समर्पण  का  भाव  हमारे  साथ  हो  ,  तो  ये  विपदाएं  हमारे  लिए  वरदान  बन  जाती  हैं   l   भगवान  का  हमारे  साथ  होना  एक  ऐसा  विश्वास  है  ,  जो  हमें   कठिन पलों  में   जबरदस्त  संबल   देता  है  ,  सकारात्मकता  से  जोड़ता  है   और  इन   जटिल  पलों  में  भी   बेहतर  करने  के  लिए  प्रेरित  करता  है   l   आचार्य श्री  लिखते  हैं  ---- जीवन  का  बहुत  कुछ  दांव  पर  लगे  होने  पर  भी   भगवान  के  साथ  होने  का  भाव  ,  ऐसा  मानसिक  एहसास  देता  है   कि   भले  ही   जीवन  में  बहुत  कुछ  गंवाया  जा  रहा  है  ,  लेकिन  फिर  भी  बहुत  कुछ   हमारे  पास  है  ,  जो  बेशकीमती  है   l     जीवन  की  विपदाओं  में  ,   बुरी  से  बुरी  परिस्थितियों  में  भी    धैर्य ,  साहस  ,  सकारात्मकता ,  आशावादी  सोच   व  कार्य  करने  के  जज्बे  को    अपनाना  चाहिए   ,  तभी  जीवन  की  जटिलता  को  सरल  बनाया  जा   सकता  है                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                          

WISDOM ---

   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी   लिखते  हैं ------' धन  और  राज्य  की  लालसा  मनुष्य  को  न्याय - अन्याय   के  प्रति  अँधा  बना  देती  है  l  लोभ  उसकी  आँखों  पर  पट्टी  बाँध  देता  है  कि   उसे   सिवाय   अपनी लालसापूर्ति  के   और  कोई  बात  दिखाई  ही  नहीं  देती  l   परन्तु  इस  प्रकार  का  आचरण  और  आदर्श  मनुष्य  को  कभी  स्थायी  रूप  से  लाभदायक  नहीं  हो  सकता   l  '   अति  की  महत्वाकांक्षा  और  अहंकार  के  कारण  ही  अनेक  राजाओं  सिकंदर , चंगेज खां   आदि  ने   दूर - दूर  के  देशों  पर  आक्रमण  किया  , अनेक  चक्रवर्ती  सम्राटों  ने   सभी  देशों  पर  अपनी  प्रभुसत्ता  स्थापित  की  लेकिन  साम्राजयवाद  एक  अभिशाप  है  l   दूसरे  को  अपने  आधीन  करने  की  लालसा  के  कारण  कभी  बड़े - बड़े  युद्ध  हुए  ,  यह  धरती  लाशों  से   पट   गई   l      समय  बदलने  के  साथ  अब  इसका  रूप  भी  बदल  गया  l   रूप  चाहे  जैसा  हो  ,  इसका  खामियाजा  हमेशा  निर्दोष  प्रजा  को  ही   भरना  पड़ता  है   l   स्वार्थ  और  अहंकार   के कारण  बुद्धि  ,  कुबुद्धि  में  बदल  जाती  है   l  छल - प्रपंच -षड्यंत्र   में  उलझ  कर  व्यक्ति  न  तो  स्वयं  चैन  से  जीता  है   और  न  दूसरों  को  चैन  से  जीने  देता  है  l