9 October 2020

WISDOM -----

 पं. श्री राम  शर्मा  आचार्य जी  ने  लिखा  है ---- ' हम  दूसरों  के  प्रति  जो  भी  बुरा  सोचते  हैं  ,  घृणा  व  नफरत  करते  हैं  ,  क्रोधित  होते  हैं ,  गुस्सा  करते  हैं  ,  वह  सब  अपने  मन  में  करते  हैं   l   ये  सब  कलुषित  भावनाएं  मन  में  होने  के  कारण   हमें  ही  ज्यादा  नुकसान  पहुँचाती   हैं  l   इन  सबके  कारण  दूसरे  व्यक्तियों  का   कोई  नुकसान  नहीं  होता  ,  बल्कि  हमारा  ही  अंतर्मन   इनकी  आग  से   जलने लगता  है   व  अशांत  होने  लगता  है  l   हमारी  ही  शांति  , हाहाकार  में  तब्दील  हो  जाती  है   और  ऐसी  स्थिति  में  हम  न  तो  कुछ  अच्छा  सोच  पाते   हैं  और  न  कुछ  अच्छा  कर  पाते  हैं   l   ऐसा  करने  से  हमारा  मन  कलुषित  हो  जाता  है  जिससे  हम  परमात्मा  से  भी  दूर  हो  जाते  हैं  l '  आचार्य श्री  का  कहना  था  --- ' कभी  भी  किसी  की  बुराई  को  अपनी  चर्चा  का  विषय   न बनाया  जाये  ,  क्योंकि  यदि  किसी  के  प्रति   थोड़ी  भी  बुराई  या   चर्चा   किसी  से  भी  की  जाती  है   तो  वह  वापस  लौटकर   कभी  न  कभी  ,  किसी  न  किसी  रूप  में  हमारे  पास  जरूर  आती  है  l '

WISDOM -----

     केवल  ताकत  नहीं , सूझबूझ  भी  जरुरी  है  l ---- एक  घना   जंगल  था  l  उसमें  कई  शूकर   परिवार  रहते  थे  l   आक्रमणकारी  सिंह  एक  ही  था  l   वह  जब  चाहता , हमला  करता  और  किसी  भी  शूकर   को  चट   कर  जाता  l   सब  शूकर   उस  सिंह   की वजह  से  बहुत  परेशान   व  दुःखी   थे  l   एक  दिन  बूढ़े  शूकर   ने   अपने सभी  स्व जातियों  की  एक  गुपचुप  सभा  बुलाई   और  कहा --- " मरना  है  तो  बहादुरी  से  क्यों  न  मरें  ?  रहना  है  तो  मिलजुल  कर  क्यों  न  रहें  ? " बात  सभी  को  अच्छी  लगी  और  वे  उसकी  योजना  अनुसार  चलने  को  राजी  हो  गए  l   दूसरे  दिन  तगड़े  शूकरों  का  दल  गठित  किया  गया   और  योजना  बनी  कि   आक्रमण  की  प्रतीक्षा  न  कर  के  ,  शेर  की  माँद   पर  चलें   और  वहां  उस  पर  हल्ला  बोल  दिया  जाये  l   नई   आशा , नई  हिम्मत  और  बहादुरी  के  साथ  तगड़े   शुक्र  चले   और  माँद   में  सोए   हुए  शेर  पर  बिजली  की  तरह  टूट  पड़े  l   शेर  ने  ऐसी  मुसीबत  पहले   कभी नहीं  देखी    थी  ,  उसने  सोचा  जंगल  में  भूतों  का  निवास  है  l   वह  जान  बचा  कर  इतनी  तेजी  से  भागा   कि   यह  भी  न  देख  सका  कि   हमला  करने  वाले  कौन  और  कितने  हैं  l   वह  भयभीत  हो  गया  और  निश्चय  किया  कि   अब  कभी  उस  गाँव  में  नहीं  लौटेगा  l   अपनी  सूझबूझ  से  वे  सब  शूकर   परिवार   उस  जंगल  में  आनंदपूर्वक  रहने  लगे  l