पं. श्री राम शर्मा आचार्य जी ने लिखा है ---- ' हम दूसरों के प्रति जो भी बुरा सोचते हैं , घृणा व नफरत करते हैं , क्रोधित होते हैं , गुस्सा करते हैं , वह सब अपने मन में करते हैं l ये सब कलुषित भावनाएं मन में होने के कारण हमें ही ज्यादा नुकसान पहुँचाती हैं l इन सबके कारण दूसरे व्यक्तियों का कोई नुकसान नहीं होता , बल्कि हमारा ही अंतर्मन इनकी आग से जलने लगता है व अशांत होने लगता है l हमारी ही शांति , हाहाकार में तब्दील हो जाती है और ऐसी स्थिति में हम न तो कुछ अच्छा सोच पाते हैं और न कुछ अच्छा कर पाते हैं l ऐसा करने से हमारा मन कलुषित हो जाता है जिससे हम परमात्मा से भी दूर हो जाते हैं l ' आचार्य श्री का कहना था --- ' कभी भी किसी की बुराई को अपनी चर्चा का विषय न बनाया जाये , क्योंकि यदि किसी के प्रति थोड़ी भी बुराई या चर्चा किसी से भी की जाती है तो वह वापस लौटकर कभी न कभी , किसी न किसी रूप में हमारे पास जरूर आती है l '
9 October 2020
WISDOM -----
केवल ताकत नहीं , सूझबूझ भी जरुरी है l ---- एक घना जंगल था l उसमें कई शूकर परिवार रहते थे l आक्रमणकारी सिंह एक ही था l वह जब चाहता , हमला करता और किसी भी शूकर को चट कर जाता l सब शूकर उस सिंह की वजह से बहुत परेशान व दुःखी थे l एक दिन बूढ़े शूकर ने अपने सभी स्व जातियों की एक गुपचुप सभा बुलाई और कहा --- " मरना है तो बहादुरी से क्यों न मरें ? रहना है तो मिलजुल कर क्यों न रहें ? " बात सभी को अच्छी लगी और वे उसकी योजना अनुसार चलने को राजी हो गए l दूसरे दिन तगड़े शूकरों का दल गठित किया गया और योजना बनी कि आक्रमण की प्रतीक्षा न कर के , शेर की माँद पर चलें और वहां उस पर हल्ला बोल दिया जाये l नई आशा , नई हिम्मत और बहादुरी के साथ तगड़े शुक्र चले और माँद में सोए हुए शेर पर बिजली की तरह टूट पड़े l शेर ने ऐसी मुसीबत पहले कभी नहीं देखी थी , उसने सोचा जंगल में भूतों का निवास है l वह जान बचा कर इतनी तेजी से भागा कि यह भी न देख सका कि हमला करने वाले कौन और कितने हैं l वह भयभीत हो गया और निश्चय किया कि अब कभी उस गाँव में नहीं लौटेगा l अपनी सूझबूझ से वे सब शूकर परिवार उस जंगल में आनंदपूर्वक रहने लगे l