10 July 2020

WISDOM -----

 योग  विज्ञान   के  अनुसार   व्यक्ति  व  व्यक्तित्व  का  शक्तिसंपन्न   व  समर्थ - बलशाली   होने  से  भी  ज्यादा  महत्वपूर्ण  है   उसका  सद्गुण संपन्न  होना , गुणवान  होना , मानवीय  मूल्यों  के  प्रति  सचेष्ट  व  समर्पित  होना   क्योंकि  सद्गुणों  के  अभाव   में   शक्ति  के  दुरूपयोग  की  संभावना   हमेशा  बनी   रहती  है   l   गुणहीन  व्यक्तियों  के  पास  जो  भी  शक्ति  आती  है  ,  वो  हमेशा   दुरूपयोग  करते  हैं  ,  फिर  यह  शक्ति  चाहे  सामाजिक  हो , राजनीतिक   हो  या  फिर  वैज्ञानिक  l
  संसार  में  अनेक  ऐसी  जातियाँ   हैं  जो  परिश्रमी  हैं , जागरूक  हैं , समय  की  पाबंद  हैं  , कर्तव्य पालन ,  स्वास्थ्य , सफाई , नियमितता  आदि  अनेक  बातों  का  ध्यान  रखती  है  ,  संगठित  हैं , साहसी  हैं , अपने  राष्ट्र  के  प्रति  समर्पित  हैं    लेकिन   इसका    अर्थ  यह  नहीं  कि   वे  सद्गुणसंपन्न   भी  हैं   l   सद्गुणी  होने  का  अर्थ  है  ---- मानवीय  मूल्यों  का  ज्ञान , नैतिकता ,  सत्य बोलना , ईमानदारी , किसी  को  कष्ट   न  देना ,  किसी  का  हक  न  छीनना ,  दया , करुणा , ममता , भाईचारा ,  प्रेम , शांति - सहयोग  ,  सेवा भाव ,   अहंकार  न  करना ,  लोगों  को  चैन  से  जीने  देना ,  स्वार्थ  व   लालच  न  होना  ,  श्रेष्ठ  चरित्र  आदि  सद्गुण  यदि   शक्तिसम्पन्न   लोगों  में  होते  तो  संसार  में  इतने  युद्ध , अन्याय , अत्याचार  , उत्पीड़न  न  होता   l
        सद्गुणों  में  एक  आकर्षण  होता  है    इसलिए  स्वार्थ , लालच , कामना , वासना  और  तृष्णा  में  डूबा  हुआ  बुरे  से  बुरा  व्यक्ति  भी   अपने  ऊपर  शराफत  का  नकाब  डालकर   रहता  है  , अपनी  असलियत  को  दुनिया  से  छिपा  कर  रखने   का   हर  संभव  प्रयास  करता  है  l
पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य  ने   वाङ्मय  में  लिखा  है ---- ' सचमुच  में  अपने  को  सभ्य  कहने  वाला  मनुष्य  आज  कितना  बनावटी  हो  चला  है  l  बात - बात  पर  अभिनय  करने  वाला ,  समय - समय  पर   भिन्न - भिन्न  मुखौटे   ओढ़ने  की  विडम्बना  में   फँसा   हुआ   आज  का    मनुष्य   बोता   तो  बहुत  है  किन्तु  काटता  कुछ  नहीं  l '