29 June 2019

WISDOM -----

 पं. श्रीराम  शर्मा आचार्य  का  कहना  है  ---- धर्म  का  वास्तविक  प्रयोजन   है ---- जनसाधारण   को  कर्तव्य    और  विवेक  का अवलम्बन  लेकर  परिष्कृत  जीवन   जीने  के  लिए  तत्पर  करना   l  लोग  कर्मकांडों  को  ही  लक्ष्य पूर्ति  का  आधार मान  लेते  हैं  , इस  कारण    क्रिया  मुख्य  हो  जाती  है  और  भावना  गौण  l 
 कर्तव्यहीन  व्यक्ति  तथाकथित  धर्म - कृत्यों  को  ही  सब  कुछ  मान  लेते  हैं   l  परिणाम  यह  होता  है  कि  लोग  आदर्शवादी   तथ्य  अपनाने  के  कष्ट कारक  कार्य  को   व्यर्थ  कहकर  निरर्थक  समझने  लगते  हैं    l  जब  सस्ते में अभीष्ट  लाभ  होता  हो  तो   कोई  महंगे  रास्ते  पर  क्यों  चले  l