12 August 2019

WISDOM ----

पुराणों  की  कथाएं  हमें  बहुत  कुछ  सिखाती  हैं   l  ईश्वर  हमारे  सामने  वरदान  देने  आ  भी  जाएँ  , व्यक्ति  उनसे  वही  मांगता  है  जैसी  उसकी  प्रवृति ,  उसके  आचार - विचार  होते  हैं  ,  सद्बुद्धि  न  होने  के  कारण  उसको  मिला  हुआ  वरदान  ही  उसके  नाश  का कारण  बन  जाता  है   l  कथा  है ----
          भस्मासुर  ने   कठिन  तपस्या  की  ,  शिवजी  प्रसन्न  होकर  उसे  वरदान  देने  आये   l  वह  चाहता  तो  बहुत  कुछ  अच्छा  मांग  सकता  था   लेकिन  स्वयं  की  प्रवृति  दूषित होने  के  कारण  दुर्बुद्धि  हावी  हो जाती  है  ,  भगवान  से  मांग  बैठा  कि  जिसके  सिर  पर  हाथ  रख  दे  वह  भस्म  हो  जाये  l  शंकरजी  तो भोलेनाथ  हैं  ,  कह  दिया  तथास्तु  !   इस  वरदान  से  भी  वह  चाहता  तो  दुष्टों का  दमन  करता  ,  लोगों  का  कल्याण  कर  के  राज्य  में  सुख - शांति  स्थापित  करता  लेकिन  वह  तो  इस वरदान  के  बल पर  अपने  को महा शक्तिशाली  बताना  चाहता  था  l  उसने  लोगों  को  भस्म  करना  शुरू  कर  दिया ,  चारों  और  त्राहि - त्राहि  मच  गई  l  अनेक  विचारशील  लोगों  ने  मिलकर  सलाह  की  कि  कैसे  इस  अत्याचारी  से  छुटकारा  मिले  ?
उन्होंने  भस्मासुर  को  सलाह  दी --- '  इस  तरह  लोगों  को  भस्म  कर  के  उसे  क्या  मिलेगा  ?  इससे  अच्छा  है  कि  शंकरजी  के  सिर  पर हाथ  रख  दो , उन्हें  भस्म  करके  पार्वतीजी  से  विवाह  कर  लो ,  कैलाश पर्वत  भी  तुम्हारा  होगा  l '   दुर्बुद्धिग्रस्त  भस्मासुर  को  यह  सलाह  बड़ी  पसंद  आई  l  वह  चला  शिवजी  के  सिर  पर  हाथ  रखने ----  जिसने  वरदान  दिया  उन्ही  को  भस्म  करने  चला   l  कथा  आगे  है  ----   शिवजी  स्वयं  अपने  वरदान  के  आधीन  थे  ,  अत:  अपनी  रक्षा  के  लिए  विष्णु लोक  पहुंचे    और  विष्णुजी  को  अपने  वरदान  की  बात  बताई  कि  अब  वह  यहाँ  भी  पहुँच  रहा  है   l------- जब  भस्मासुर  वहां  पहुंचा  तो  विष्णु  भगवान  ' मोहिनी ' रूप  में  उसके  सामने  थे   l  ' मोहिनी '  का  अप्रतिम   सौन्दर्य    देखकर  वह  अपनी  सुध - बुध  खो  बैठा  ,  मोहिनी  रूपधारी  भगवान  ने  उससे  कहा  ---जैसा  मैं  नृत्य  करूँ  ,  वैसा  ही  तुम  करो  l  बेसुध  होकर  भस्मासुर  उनके  जैसी   नृत्य  की  मुद्रा  में  नृत्य  करने  लगा  l  नृत्य  करते - करते  जब  मोहिनी  ने  अपने  सिर  पर  हाथ  रखा  तो  भस्मासुर  ने  भी  अपने  सिर  पर  हाथ  रखा  और  वरदान  के  अनुसार  उसी  समय  जलकर  भस्म  हो  गया   l
कथा  का  अभिप्राय  यही  है कि  सद्बुद्धि  के  आभाव  में   व्यक्ति  स्वयं  को  मिले  हुए  सुख - साधनों  का  दुरूपयोग  करता  है  और