18 December 2022

WISDOM ----

   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ---- " संवेदना  की  गहरी  नींव  में  संबंधों  का  भव्य  महल  खड़ा  होता  है  l  मानव  जीवन  में  पनपने  वाला  संबंध   भावनाओं  के  तल  पर  उपजता  है  l  भावनाओं  की  परिष्कृति  एवं  स्थिरता  संबंधों  को  स्वस्थ   एवं    सुद्रढ़  बनाती  है  l  यदि  संबंध  अच्छे  होते  हैं   तो  जीवन  की  सुन्दरता , खूबसूरती  बढ़  जाती  है   और  यदि  संबंधों  में  कटुता  पनपती  है   तो  जीवन  नरकतुल्य  और  अर्थहीन  लगता  है  l  "  आचार्य श्री  लिखते  हैं  --- 'आज  भावनाओं  की  सार्थकता  खो  गई  है  , आज  का  सबसे  बड़ा  दुर्भिक्ष  भावनाओं  के  क्षेत्र  का  है  l  इसी  के  कारण  जीवन  के  प्रत्येक  क्षेत्र  में  समस्याएं  उत्पन्न  हुई  हैं  l "                          आज  की  संस्कृति  भोग प्रधान  है  l  मनुष्य  का  लालच , कामनाएं  , वासना  , तृष्णा  , महत्वाकांक्षा  आदि  मानसिक  विकार  अपने  चरम  पर  हैं   जिसके   नीचे  भावनाएं  कुचल  गई  हैं  l  भौतिक  प्रगति  तो  बहुत  हुई  लेकिन  चेतना  के  स्तर  पर  मनुष्य  पशु  और  कहीं  तो  नर पिशाच   है  l     भावनाएं  जाति , धर्म , प्रेम विवाह , अरेंज मैरिज , अंतर्जातीय  विवाह  आदि   के  कारण  परिष्कृत  या  विकृत  नहीं  होतीं  l  माता -पिता  बहुत  सोच समझकर  अपनी  पुत्री  का  विवाह  करते  हैं   , तब  भी  घरेलु  हिंसा ,  उत्पीड़न , दहेज़ हत्या ,  चारित्रिक  कमियां  आदि   अनेक  जटिल  समस्याएं  संतान  के  जीवन  में  आती  हैं  l   भावनाओं  का  सीधा  संबंध  विचारों  से  है  l  आज  सम्पूर्ण  समाज  का  वातावरण  जहरीला  हो   चुका  है  l  फिल्मों  के  माध्यम  से  जो  अश्लीलता  और  अपराध  के  नए -नए  तरीके   समाज  के  सामने  आते  हैं  उससे  क्या  बच्चे  और  क्या  वृद्ध   सबके  विचार  विकृत  हो  गए  हैं  l  प्रौढ़  हों  या  वृद्ध  हों  , उन्हें  लगता  है  जीवन  कब  हाथ  से  फिसल  जाये  ,  कितना  सुख  और  भोग  लें  l  उनमें  त्याग   की  भावना  ही  नहीं  है  l  बच्चों   और  युवाओं  को  दिशा  कौन  दे  l   आचार्य श्री  लिखते  हैं ---- चिन्तन  परिक्षेत्र  बंजर  हो  जाने  के  कारण  कार्य  भी  नागफनी  और    बबूल   जैसे  हो  रहे  हैं  l '   समस्या  का  समाधान  भी  हमारे  ही  पास  है -- जब  हम   विदेशियों  की  नक़ल  करने  के  बजाय   अपनी  संस्कृति , अपने  आचार -विचार , अपना  रहन -सहन  और   शिक्षा , चिकित्सा , कृषि  आदि  सभी  क्षेत्रों  में   जब  हम  अपनी  संस्कृति , अपनी  मिटटी  के  अनुरूप  कार्य  करेंगे   तभी  स्वस्थ  और  सुन्दर  समाज  का  निर्माण  होगा   l