30 January 2020

वर्तमान जगत के युग - पुरुष --- महात्मा गाँधी

    ' तीस  जनवरी  शाम  को  बापू  बिड़ला  घर  से  बाहर  आए   और  प्रार्थना - सभा  में  जाने  धीरे - धीरे  कदम  बढ़ाए ,  उस  दिन  होनी  अपना  रूप  बदल  कर  आई  और  अहिंसा  के  सीने  पर  हिंसा  ने  गोली  बरसाई  l    बापू  ने  कहा  राम - राम   और  जग  से  किया  किनारा ,  श्रीराम  के  घर  जा  पहुंचा  श्रीराम  का  प्यारा  l '
     मृत्यु  से  पहली  रात  को  जब  वे  विश्राम  के  लिए  बिस्तर  पर  लेट  गए  और  एक  दो  अनुयायी  उनके  थके  हुए  अंगों  को  मल   रहे  थे  ,  उन्होंने  कहा ---- ' अगर  मैं  किसी  बीमारी  से , सामान्य  फोड़े  से  भी  मरीज  होकर  मरुँ  ,  तो  तुम्हारा  यह  कर्तव्य  है  कि   संसार  को  बता  दो   कि   गांधीजी  सच्चे  ईश्वर  भक्त  नहीं  थे  ,  चाहे  इससे  लोग  तुमसे  नाराज  ही  क्यों   न हो  जाएँ  l   अगर  तुम  ऐसा  करोगे  तो  मेरी  आत्मा  को  शांति  मिलेगी  l    साथ  ही  यह  लिखकर  रख  लो  कि   अगर  कोई   गोली  चलकर  मेरे  जीवन  का   अंत  कर  दे   और  मैं  उस  आघात  को   बिना  हाय - तौबा  किये   सह  लूँ  , तब  भी  राम   नाम  लेता  हुआ  प्राण  त्यागूँ  ,  तो  यह  समझना  कि   मैं  जो  दावा   करता  था   वह   'सच  है  l
  संसार  में  गांधीजी  के  देहान्त   होने  का  जितना  अधिक  शोक  मनाया  गया   और  सब  तरह  के  लोगों  ने  इसे   जिस  प्रकार  अपनी  व्यक्तिगत  हानि  माना  ,  वैसा  संसार  में  शायद  ही  पहले  कभी  हुआ  हो  l   अमरीका  के  सबसे  बड़े  अख़बार  ' न्यूयार्क  टाइम्स '  ने  लिखा --- " गांधीजी  अपने  उत्तराधिकार  स्वरुप  एक  ऐसी  आध्यात्मिक  शक्ति  छोड़  गए   जो  भगवान   के  निर्देशित  समय  पर   अवश्य  ही  हथियारों   और  हिंसा  की   दूषित  नीति   पर   विजय  प्राप्त  करेगी  l  "
    पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  ने  वाङ्मय  ' हमारी  संस्कृति  इतिहास  के  कीर्ति  स्तम्भ  '   में    लिखा  है----  '  महात्मा  गाँधी  वास्तव  वास्तव  में  युग  पुरुष  थे  l   ऐसे  महामानव   प्रकृति   अथवा  ईश्वर  के  नियमानुसार  ' युग - परिवर्तन '  के  अवसर  पर  प्रकट  होते  हैं   और  संसार  की  परिस्थितियों  के  अनुकूल  सत्य - मार्ग  का  उपदेश  देते  हैं  l   उनकी  सबसे  बड़ी  विशेषता  यही  होती  है   कि   वे  जो  कुछ  कहते  हैं   उसके  अनुसार  स्वयं  भी  आचरण  कर  के   दिखा  देते  हैं   l  '