6 February 2021

WISDOM ------

     ऋषियों  का   कहना  है  कि ---- अहंकार  से   अज्ञान  उपजता  है  ,  इससे  व्यक्ति  को  दिशा भ्रम  हो  जाता  है  l   दिशा - भ्रम  होने  पर  व्यक्ति    न  करने  योग्य  करता  है   और  न  सोचने  योग्य  सोचता  है   l अहंकार  से  उपजे  अज्ञान  के  कारण  व्यक्ति  स्वयं  अपने  विनाश   को  निमंत्रण  दे  डालता  है   l   पुराण  में  एक  कथा  है  ---- एक  राजा  था   l   वह  राजा  स्वयं  और  उसकी  समस्त  प्रजा  गायत्री  साधना  करती  थी   एवं   एकादशी  का  व्रत  करती  थी  l   इसके  प्रभाव  से  उनके  राज्य  में  समस्त  प्रजा   बहुत  प्रसन्न  तथा  स्वस्थ  थी   और  मृत्यु  के  बाद   कोई भी  नरक  में  नहीं  जाता  था  l   इससे  यमराज  को  बड़ी  परेशानी  थी   l   संभवत:  स्वर्ग  में  बहुत  भीड़  हो  जाये  ,  यह  भी  बहुत  चिंता  की  बात  है   l   उन्होंने  अपनी   ब्रह्मा जी  से  कही   कि   ऐसा  कोई  उपाय  करें   जिससे  राज्य वासी  नरक  में  आने  लगें  l  ब्रह्मा जी  ने  पहले  तो  बहुत   मना    किया   फिर  यमराज  की  चिंता  को  समझते  हुए  बोले ---- तुम  किसी  भी  तरीके   से उस  राजा   के  अहंकार  को  जगाओ  ,  शेष  सभी  कार्य    अहंकार  से  उपजा   अज्ञान   स्वयं    कर  लेगा   l '     यमराज  का  प्रयत्न  सफल  हुआ   l   ---------------   ऋषि  कहते  हैं  ---- अशांति  का  मूल  कारण  स्वार्थ  और  अहंकार  है  l   और  इसके  समाधान   का  उपाय  है  ----  प्रेम , सात्विक  प्रेम ,   सेवा  और  परोपकार  l   इससे  स्वार्थ  और  अहंकार  गलता  है   और  ईश्वर  का  सान्निध्य  प्राप्त  होता  है   l