कहते हैं यदि मन व आत्मा में शक्ति हो तो बड़ी से बड़ी मुसीबत से आसानी से निपटा जा सकता है l कोई राष्ट्र केवल अस्त्र - शस्त्र और साधनों से ही शक्तिशाली नहीं होता l किसी समय में कौन सी समस्या आ गई है , उससे निपटने के लिए प्रतिभासंपन्न , सूझ बूझ और तुरंत निर्णय लेने वाले व्यक्तित्व की जरुरत होती है -------- विश्वविजय का स्वप्न द्रष्टा हिटलर अपनी विशाल सेना के साथ आँधी -तूफान की भांति बढ़ रहा था l छोटे -छोटे देश बिना संघर्ष किए भयवश समर्पण करते जा रहे थे l हिटलर ने हालैंड पर आक्रमण का आदेश दे दिया था l उन दिनों हालैंड को गरीबी के भयंकर दौर से गुजरना पड़ रहा था l पिछड़ेपन और गरीबी का एक प्रमुख कारण यह था कि हालैंड की जमीन समुद्र की सतह से नीची है l इसलिए हालैंड वासियों को दीवारें बनाकर समुद्री लहरों से सुरक्षा करनी पड़ती थी l उनके पास न सेना थी , न शस्त्र l जर्मन सेना ने सोचा कि हालैंड को तो पलों में जीता जा सकता है l यह सोचकर जर्मन सेना ने हमला बोल दिया l इस संकट से जूझने के लिए हालैंड वासियों ने निर्णय लिया कि समर्पण कर देने और गुलामी स्वीकार कर लेने से तो बहादुरों की तरह लड़ते हुए मर जाना अच्छा है l सारे देश में घोषणा करा दी गई कि जिस भी गाँव में जर्मन सेना का हमला हो , उस गाँव की दीवार तोड़ दी जाये l इस तरह समुद्र के पानी से गाँव के डूबने के साथ -साथ जर्मन सेना भी डूब जाएगी l तीन गाँव इसी तरह डूब गए l हालैंड को तो नुकसान हुआ , पर साथ ही जर्मन सेना को भी भयंकर क्षति उठानी पड़ी l उनका मनोबल टूट गया l हिटलर ने सेना को लौट आने की आज्ञा दे दी l यह राष्ट्र के प्रति समर्पण और आत्मिक शक्ति की विजय थी l
23 July 2022
WISDOM -----
किसी भी परिवार , समाज और राष्ट्र की तरक्की के लिए अनेक कारण उत्तरदायी होते हैं लेकिन तरक्की के साथ यदि सिर उठाकर जीना है तो उसके लिए स्वाभिमान बहुत जरुरी है l स्वाभिमान के अभाव में वह तरक्की मात्र दिखावा है जैसे कोई परिवार , समाज में अपने जीवन स्तर को ऊँचा दिखाने के लिए किसी सेठ से बहुत धन उधार लेता है l ऐसा कर के वह सब सुख -सुविधा जोड़ लेता है l समाज में भी दीखने लगता है कि वह बहुत अमीर है , उच्च जीवन स्तर है लेकिन इन सबके भीतर एक खोखलापन है l जो उधार देता है वह ब्याज तो वसूल करता ही है साथ ही अपनी हुकूमत भी चलाता है , उधार देने वाला किसी दूसरे लोक का निवासी नहीं है , वह भी मानवीय कमजोरियों से घिरा हुआ है ,वह चाहता है कि जब हमारी दम पर तुम्हारा वैभव है तो हमारी हर बात को चाहे वह सही हो या गलत , उसे स्वीकार करो l उधारी का जीवन चाहे परिवार का हो या राष्ट्र का एक तरह की गुलामी है , बिना युद्ध के ----- l कभी ऐसा भी होता है कि व्यक्ति जागरूक नहीं है , स्वयं को मिलने वाली सुविधाओं में खो जाता है , उसे सुविधा देने वाले की मानसिकता क्या है , इसे समझ नहीं पाता और अनजाने में अपना स्वाभिमान खो बैठता है l जैसे --- महाभारत का प्रसंग है --- जब युद्ध शुरू होने वाला था तब विशाल भारत के लगभग सभी राजा ( एक -दो को छोड़कर ) युद्ध में सम्मिलित हुए l कोई कौरवों के पक्ष में , कोई पांडवों के पक्ष l जब दुर्योधन को पता चला कि पांडवों के मामा शल्य आ रहे हैं तो उसने गुप्त रूप से शल्य के आने के पूरे मार्ग पर सुख - सुविधाओं का अम्बार लगा दिया l सैकड़ों सेवकों को नियुक्त कर दिया कि मार्ग में मामा शल्य को कोई कष्ट नहीं होना चाहिए l शल्य बहुत प्रसन्न थे कि युधिष्ठिर ने उनकी सुविधा का इतना ध्यान रखा लेकिन जब वे हस्तिनापुर पहुंचे तो दुर्योधन ने स्वागत किया l तब उन्हें समझ में आया कि रास्ते भर इतना स्वागत -सत्कार सब दुर्योधन ने किया l इस एहसान के कारण शल्य और उनके समर्थक सभी राजा , दुर्योधन के पक्ष में रहे l बुराइयां हर युग में रही हैं , व्यक्ति को स्वयं जागरूक होना होगा l