23 July 2022

WISDOM ------

   कहते  हैं   यदि  मन  व  आत्मा  में  शक्ति   हो  तो  बड़ी  से  बड़ी  मुसीबत  से  आसानी  से  निपटा  जा  सकता  है  l  कोई  राष्ट्र  केवल   अस्त्र - शस्त्र  और  साधनों  से  ही  शक्तिशाली  नहीं  होता  l  किसी  समय  में   कौन  सी  समस्या   आ  गई  है ,  उससे  निपटने  के  लिए   प्रतिभासंपन्न ,   सूझ बूझ  और  तुरंत  निर्णय  लेने  वाले   व्यक्तित्व  की  जरुरत  होती  है  --------  विश्वविजय  का  स्वप्न द्रष्टा  हिटलर    अपनी  विशाल  सेना  के  साथ    आँधी -तूफान  की  भांति  बढ़  रहा  था   l  छोटे -छोटे  देश   बिना  संघर्ष  किए   भयवश   समर्पण  करते  जा  रहे  थे  l  हिटलर  ने  हालैंड  पर  आक्रमण  का  आदेश  दे  दिया   था  l  उन  दिनों  हालैंड  को  गरीबी  के  भयंकर  दौर  से  गुजरना  पड़  रहा  था   l  पिछड़ेपन  और   गरीबी  का  एक  प्रमुख  कारण  यह  था  कि  हालैंड  की  जमीन   समुद्र  की  सतह  से  नीची  है   l  इसलिए  हालैंड वासियों  को    दीवारें  बनाकर   समुद्री  लहरों  से   सुरक्षा  करनी  पड़ती  थी   l  उनके  पास  न  सेना  थी , न  शस्त्र  l  जर्मन  सेना  ने  सोचा  कि   हालैंड  को  तो  पलों  में  जीता  जा  सकता  है  l  यह  सोचकर  जर्मन  सेना  ने  हमला  बोल  दिया   l  इस  संकट  से  जूझने  के  लिए   हालैंड वासियों  ने  निर्णय  लिया  कि  समर्पण  कर  देने  और  गुलामी  स्वीकार   कर  लेने  से   तो  बहादुरों  की  तरह  लड़ते  हुए  मर  जाना  अच्छा  है  l  सारे  देश  में  घोषणा  करा  दी  गई   कि  जिस  भी  गाँव  में  जर्मन  सेना  का  हमला  हो  ,  उस  गाँव  की  दीवार  तोड़  दी  जाये   l  इस  तरह  समुद्र  के   पानी  से  गाँव  के  डूबने  के  साथ  -साथ  जर्मन  सेना  भी  डूब  जाएगी   l  तीन  गाँव  इसी  तरह  डूब  गए   l  हालैंड  को  तो  नुकसान  हुआ  ,  पर  साथ  ही  जर्मन  सेना  को  भी  भयंकर   क्षति  उठानी  पड़ी   l  उनका  मनोबल  टूट  गया   l  हिटलर  ने   सेना  को  लौट  आने  की  आज्ञा  दे  दी  l   यह  राष्ट्र  के  प्रति  समर्पण  और  आत्मिक  शक्ति  की  विजय  थी  l  

WISDOM -----

   किसी  भी  परिवार , समाज  और  राष्ट्र  की  तरक्की  के  लिए  अनेक   कारण  उत्तरदायी  होते  हैं    लेकिन  तरक्की  के  साथ  यदि  सिर  उठाकर  जीना  है  तो  उसके  लिए  स्वाभिमान  बहुत  जरुरी  है   l   स्वाभिमान  के  अभाव  में  वह  तरक्की   मात्र  दिखावा  है    जैसे  कोई  परिवार ,    समाज  में  अपने  जीवन स्तर  को  ऊँचा  दिखाने  के  लिए    किसी  सेठ  से  बहुत   धन   उधार  लेता  है    l  ऐसा  कर  के  वह  सब  सुख -सुविधा  जोड़  लेता  है  l  समाज  में  भी  दीखने  लगता  है  कि  वह  बहुत   अमीर    है , उच्च  जीवन स्तर  है   लेकिन  इन  सबके  भीतर    एक  खोखलापन  है   l   जो  उधार  देता  है   वह  ब्याज  तो  वसूल  करता  ही  है    साथ  ही  अपनी  हुकूमत  भी  चलाता  है  ,    उधार  देने  वाला  किसी  दूसरे  लोक  का  निवासी  नहीं  है ,  वह  भी  मानवीय  कमजोरियों  से  घिरा  हुआ  है  ,वह  चाहता  है  कि  जब  हमारी  दम  पर   तुम्हारा  वैभव  है  तो  हमारी  हर   बात  को  चाहे  वह  सही  हो  या  गलत ,  उसे  स्वीकार  करो  l  उधारी  का  जीवन  चाहे  परिवार  का  हो  या  राष्ट्र   का     एक  तरह  की  गुलामी  है  ,  बिना  युद्ध  के  -----   l             कभी  ऐसा  भी  होता  है   कि  व्यक्ति  जागरूक  नहीं  है  ,  स्वयं  को  मिलने  वाली   सुविधाओं   में  खो  जाता  है ,  उसे  सुविधा  देने  वाले  की  मानसिकता  क्या  है  ,  इसे  समझ  नहीं  पाता  और  अनजाने  में  अपना  स्वाभिमान  खो  बैठता  है   l  जैसे  --- महाभारत  का  प्रसंग  है  --- जब  युद्ध  शुरू  होने  वाला  था   तब  विशाल  भारत  के  लगभग  सभी  राजा  ( एक -दो  को  छोड़कर  )  युद्ध  में  सम्मिलित  हुए   l  कोई  कौरवों  के  पक्ष  में , कोई  पांडवों  के  पक्ष   l  जब  दुर्योधन  को  पता  चला  कि  पांडवों  के  मामा  शल्य  आ  रहे  हैं   तो  उसने  गुप्त  रूप  से  शल्य  के  आने  के  पूरे  मार्ग  पर  सुख - सुविधाओं  का  अम्बार  लगा  दिया   l  सैकड़ों  सेवकों  को  नियुक्त  कर  दिया   कि  मार्ग  में  मामा  शल्य  को  कोई  कष्ट  नहीं  होना  चाहिए   l  शल्य  बहुत  प्रसन्न  थे  कि  युधिष्ठिर  ने  उनकी  सुविधा  का  इतना  ध्यान  रखा   लेकिन  जब  वे  हस्तिनापुर  पहुंचे   तो  दुर्योधन  ने  स्वागत  किया   l  तब  उन्हें  समझ  में  आया  कि    रास्ते  भर  इतना  स्वागत -सत्कार  सब  दुर्योधन  ने  किया   l  इस  एहसान  के  कारण   शल्य  और  उनके  समर्थक  सभी  राजा  ,     दुर्योधन  के  पक्ष  में  रहे   l   बुराइयां  हर  युग  में  रही  हैं   ,   व्यक्ति  को  स्वयं  जागरूक  होना   होगा   l