24 January 2023

WISDOM

 पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ---" आज  की  परिस्थितियों  पर  द्रष्टिपात   करें  तो   चारों  ओर  ईर्ष्या  का  ही  साम्राज्य  फैला  दिखेगा   l  समाज  में  फैले  संघर्षों  का  मूल  ईर्ष्या  ही  होती  है  l  ईर्ष्या  का  जन्म  सामाजिक  जीवन  की  विषमता  से  होता  है  l  किसी  के  पास   बहुत  धन -वैभव  है  , लेकिन  उसे  समाज  में  अधिक  प्रतिष्ठा , विशेष   सुविधाएँ   नहीं  हैं  तो  उसके  प्रति  ईर्ष्या  नहीं  होगी  l  लेकिन  दूसरों  को  मिल  रही  प्रशंसाओं , -सुविधाओं  और  सम्मान  से   अपनी  कोई  वास्तविक  हानि  नहीं  हो  रही  है  , तब  भी  उसके  प्रति  ईर्ष्या  भड़क  उठती  है l '    ईर्ष्या  बलवती  होने  पर  व्यक्ति   षड्यंत्रकारी  हथकंडे  अपनाने  लगता  है  l  स्वयं  के  पास   धन -वैभव  सब  है   लेकिन  दूसरों  को   आगे  बढ़ता   हुआ   नहीं  देख  सकता ,  दूसरों  की  सफलता  से  ईर्ष्या  होती  है  l  ईर्ष्या  के  कारण   परिवार  हो  या  समाज -- सम्पूर्ण  वातावरण  जहरीला  हो  जाता  है