24 April 2024

WISDOM ------

   लघु कथा ----- एक  पंडित जी  गंगा  में  स्नान  कर  के  निकल  रहे  थे   कि  उनका  स्पर्श  एक  निम्न  जाति  के  व्यक्ति  से  हो  गया  l  स्पर्श  होते  ही   उन्हें  क्रोध  आ  गया   और  वे  उसे  जोर  से  डांटने -डपटने  लगे  l  उनका  क्रोध  इतना  बढ़  गया  कि  उन्होंने  उस  व्यक्ति  को   दो  छड़ियाँ  भी  जमा  दीं  l   फिर  यह  कहते  हुए  दोबारा  स्नान  करने  चले  गए   कि  इस  व्यक्ति  ने  मुझे  अपवित्र  कर  दिया   l  नहाते  समय  उन्होंने  देखा  कि  वह  व्यक्ति  भी   स्नान  कर  रहा  है  l  उसे  स्नान  करते  देख  पंडित जी  को  बड़ा  आश्चर्य  हुआ    और  उन्होंने   उससे  पूछा  ---- ' मैं  तो   तुम्हारे  से  स्पर्श  होने  के  कारण  दोबारा  स्नान  करने  गया  ,  लेकिन  तुम  क्यों  नहाने  गए  ? "  वह  व्यक्ति  बोला  --- " पंडित जी  !  मानव  मात्र  तो  एक  समान  हैं  ,  जाति  से  पवित्रता  तय  नहीं  होती  ,  लेकिन  सबसे  अपवित्र  तो  क्रोध  है  l  जब  आपके  क्रोध  ने   मुझे  स्पर्श  किया   तो  उन  नकारात्मक  भावों  से  मुक्त   होने  के  लिए   मुझे  गंगा स्नान  करना  पड़ा  l "   यह  सुनकर  पंडित जी  बहुत  लज्जित  हुए  और  उनका  जाति -अभिमान  दूर  हो  गया  l