11 July 2019

WISDOM ----- कुटिल की मित्रता और अपना अति अभिमान दुखदायी होता है

  इतिहास  की   विभिन्न   घटनाएँ  हमें  जीवन  जीने  की  शिक्षा  देती  हैं  ---- मित्रता  नीतिसंगत  और  व्यवहारिक   होनी  चाहिए  ---- जोधपुर  के  राजा  जसवंतसिंह  ने  औरंगजेब  से  मित्रता  की  l  उन्होंने  यह  सोचने  का  प्रयास  ही  नहीं  किया  कि  यह  क्रूर , निर्दयी , अन्यायी  औरंगजेब  जब  अपने  पिता  को  कैद  कर  सकता  है  ,     भाइयों  का  क़त्ल  करवा  सकता  है   तो  समय  आने  पर  उन्हें  भी  दगा   दे  सकता  है  , उनका  राज्य  हथिया  सकता  है  l   उन्होंने  औरंगजेब  के  दरबार  में  रहना  स्वीकार  कर  लिया  l
  जसवंतसिंह  की   वीरता  और  पराक्रम  से  औरंगजेब  ने  जी  भर  के  लाभ  उठाया  l  जसवंतसिंह  ने  उसके  लिए  कठिन  से  कठिन  संग्राम  जीते  l  शंकालु  प्रवृति  का  औरंगजेब  उनसे  भीतर  ही  भीतर  भयभीत  रहता  था   कि  यदि  जसवंतसिंह  बदल  गया  तो  उसकी  ' आलमगीरी '  धरी  रह  जाएगी  l   औरंगजेब  ने  धोखे  से  उन्हें  मरवा  दिया  l 
 पं.  श्रीराम  शर्मा  आचार्य  ने  वाड्मय  ' महापुरुषों  के  अविस्मरणीय  जीवन  प्रसंग '  में  लिखा  है --- कुटिल  की मित्रता  और  अपना  अति  अभिमान  उनकी  मृत्यु  का  कारण  ही  नहीं  बना  वरन  उनके  परिवार  और  राज्य  पर  संकट  आने  का  कारण  भी   l   यह  मित्रता  नीतिसंगत  और  व्यावहारिक  नहीं  थी  l  यह  तो  बेर  और  कदली  के  सामीप्य  जैसी  मित्रता  थी  l  
 आचार्य श्री  ने  आगे  लिखा  है ---  आज    समय  में  भी   सच्चे  और  ईमानदार   व्यक्तियों  को  यदि  दीन - हीन  देखा  जाता   है  तो  उसके  पीछे  एक  कारण  यह   भी  है  कि  उसका  लाभ  बुरे  लोग  उठा  लेते  हैं  l  सच्चे  लोगों  को  संगठित   होना  चाहिए  l  यह  भी  देखना  चाहिए  कि  उसका  लाभ  गलत  व्यक्ति  तो  नहीं  उठा  रहे  हैं  l   नहीं  तो  यह   अच्छाइयां  भी  राजा  जसवंतसिंह  के  पराक्रम  की  तरह  निरर्थक    चली  जाएँगी  l