' इस संसार का सबसे बड़ा आश्चर्य यही है कि अपनी आँखों के सामने मृत्यु का तांडव देखते हुए भी व्यक्ति छल - कपट , लोभ - लालच , षड्यंत्र , भोग - विलास के जीवन से क्षण भर के लिए भी पीछे नहीं हटना चाहता l स्वयं को अजर - अमर समझकर मनुष्य जो भी नैतिकता और मर्यादा के विरुद्ध कार्य करता है उससे समाज पर जो प्रभाव पड़ता है वह अलग बात है , ऐसा कर के व्यक्ति अपने हाथ से अपना दुर्भाग्य लिखता है l '
मनुष्य के दोहरे चरित्र से अब प्रकृति भी ऊब गई , प्रकृति का कहर कुछ ऐसा हुआ कि धार्मिक स्थल पर होने वाले कर्मकांड भी बंद हो गए l इस घटना के माध्यम से ईश्वर हमें यह सन्देश देना चाहते हैं कि --- बाहरी आडम्बर और कर्मकांड तभी सार्थक हैं जब आपने अपने व्यक्तित्व का परिष्कार किया हो , अपनी दुष्प्रवृतियों को त्याग कर सन्मार्ग पर चलने का , सद्गुणों को अपने जीवन में अपनाने का प्रयास शुरू किया हो l प्रकृति का स्पष्ट सन्देश है कि ईश्वर का निवास हम सबके हृदय में है , हम अपनी भावनाओं को परिष्कृत करें , सद्गुणों को अपनाकर , सन्मार्ग पर चलकर अपने हृदय को ही मंदिर बनायें , उसमे बैठे ईश्वर को जाग्रत करें l
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं कि --- यदि हम अपनी बुराइयों को त्याग कर सन्मार्ग पर चलने का संकल्प लेते हैं तो दैवी शक्तियां हमारी मदद करती हैं , लेकिन ईश्वर के दरबार में झूठ और छल - कपट नहीं चलता l वे हमारे हृदय में बैठें हैं , हम क्या कर रहे हैं और क्या सोच रहे हैं , यह सब उनसे छुपा नहीं है l
मनुष्य के दोहरे चरित्र से अब प्रकृति भी ऊब गई , प्रकृति का कहर कुछ ऐसा हुआ कि धार्मिक स्थल पर होने वाले कर्मकांड भी बंद हो गए l इस घटना के माध्यम से ईश्वर हमें यह सन्देश देना चाहते हैं कि --- बाहरी आडम्बर और कर्मकांड तभी सार्थक हैं जब आपने अपने व्यक्तित्व का परिष्कार किया हो , अपनी दुष्प्रवृतियों को त्याग कर सन्मार्ग पर चलने का , सद्गुणों को अपने जीवन में अपनाने का प्रयास शुरू किया हो l प्रकृति का स्पष्ट सन्देश है कि ईश्वर का निवास हम सबके हृदय में है , हम अपनी भावनाओं को परिष्कृत करें , सद्गुणों को अपनाकर , सन्मार्ग पर चलकर अपने हृदय को ही मंदिर बनायें , उसमे बैठे ईश्वर को जाग्रत करें l
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं कि --- यदि हम अपनी बुराइयों को त्याग कर सन्मार्ग पर चलने का संकल्प लेते हैं तो दैवी शक्तियां हमारी मदद करती हैं , लेकिन ईश्वर के दरबार में झूठ और छल - कपट नहीं चलता l वे हमारे हृदय में बैठें हैं , हम क्या कर रहे हैं और क्या सोच रहे हैं , यह सब उनसे छुपा नहीं है l