25 May 2020

WISDOM ------

 पुरानी   आदत  आसानी  से  जाती  नहीं  l   जिन  जातियों  ने  संसार  को  हमेशा  से  अपना  गुलाम  बनाया  ,  उनकी  यह  गुलाम  बनाने  की  आदत  जाती  नहीं  l   और  जो  जातियां  गुलाम  रहीं  ,  अब  उनको  गुलामी  में  रहना  ही  अच्छा  लगता  है  l   जैसे  एक   हाथी   जब  छोटा  रहता  है ,  उसे  रस्सी  से  बांध  दो  ,  तो  उसकी  बंधे  रहने  की  आदत  बन  जाती  है  l   जब  वह  बड़ा  मजबूत  हाथी  हो  जाये  तब  भी  वह  उस  पतली  रस्सी  से  बंधा  रहता  है ,  रस्सी  तोड़  कर  भागता  नहीं  l
  गुलाम  बनाने  के  तरीके  भौतिक  प्रगति  के  साथ - साथ   आधुनिक  हो  जाते  हैं  l   पहले  मार  - पीट  कर , अत्याचार  कर  गुलाम  बनाते  थे   l   अब  तरीका  बदल  गया  l   जो  देश  गरीब  हैं , कमजोर  हैं  ,  जिन्हे  अपने  साधनों  पर  यकीन   नहीं  है  ,  उन्हें  ऋण  देकर ,  सहायता - अनुदान  के  बोझ  से  इतना  दबा  दो   की  वे  उनकी  हर  आज्ञा  को  मानने   को  विवश  हो  जाएँ  l   इसमें  नुकसान  तो  दोनों  पक्षों  का  होता  है   किन्तु   जो  शक्तिशाली  हैं  उनके  अहं   को  पोषण  जरूर  मिल  जाता  है  l 
जब  तक  लोगों  का , देश  का  स्वाभिमान  नहीं  जागेगा  ,  हम  अपनी  संस्कृति , अपने  साधनों  को  महत्व  नहीं  देंगे  ,  तब  तक  इस  जंजाल  से  मुक्ति  संभव  नहीं  है   l
   

WISDOM ---- संसार का सबसे कठिन कार्य है --- किसी को खुशी देना l

  किसी  को  कष्ट  देना ,  उसकी  खुशियां  छीन  लेना ,  किसी  की  आँखों  में  आँसू   देना  बहुत  सरल  कार्य  है   l    ऐसे  ही  कार्यों  की   आज  संसार  में  भरमार  है   l   इसलिए   लेकिन  किसी  को  खुशी   देना ,  चेहरे  पर  मुस्कान  ला  देना  ,  सच्चे  हृदय  से  किसी  के  कार्यों  की  तारीफ़   करना    बहुत  कठिन  कार्य  है   l
  किसी  को  ख़ुशी  देने  के  लिए  बहुत  बड़ी  धन - सम्पदा  देने  की  जरुरत  नहीं  है  ,  किसी  के  कठिन  वक्त  में  उसकी  मदद  करने  से  ही  उसको  ख़ुशी  मिल  जाती  है  l   एक  घटना  स्पष्ट  करती  है  कि   खुशियाँ   कैसे  आती  हैं  -----  एक  गाँव  में  बहुत  गरीबी  थी  ,  खेती  अच्छी  नहीं  थी , कोई  रोजगार  नहीं  था  ,  शासन  से  जो  मदद  मिलती  थी  , उससे  गुजारा   हो  जाता  था   l   चारों  और  सन्नाटा  था , कहीं  कोई  उमंग  नहीं  थी  l  कई  वर्ष  ऐसे  ही  सन्नाटे  में  गुजर  गए  l   कुछ  श्रद्धालुओं  ने   वहां  एक  प्राचीन  खंडहर  हुए  मंदिर  का  जीर्णोद्धार  किया  ,  उसमे  शनि महाराज  और  हनुमानजी  व  अन्य  देवी - देवताओं  की  मूर्तियां  थीं ,  साफ - सफाई  कर  के  वहां  पूजा - प्रार्थना  शुरू  करा  दी  l  श्रद्धालु  दर्शन  के  लिए  आने  लगे  l  गाँव  के  लोगों  में  उमंग  जगी  l   सुबह  जल्दी  उठकर   महिलाएं , बच्चे  सब  फूल - मालाएं  तैयार  करते ,  भजन - पूजन  की  सामग्री ,  प्रसाद    आदि   तैयार  कर  के   मंदिर  से  मुख्य  सड़क  तक  सब  खड़े  रहते   l   दिन - भर  में  सबकी      फूल - माला    आदि  की  जो  बिक्री  होती  ,  वह  उन  के  मन  को  खुश   करने  के  लिए  पर्याप्त  थी   l   शनिवार , मंगलवार  को  मेला  भरता   l  खेल - खिलौना , गुब्बारे , मिठाई  , झूला   सभी  की  कुछ  न  कुछ  बिक्री  होती   l    दिनभर  मेहनत  के  बाद  जो  पैसा  मिलता  ,  उसकी  ख़ुशी  ही  अलग  है l    मात्र  एक - दो  महीने  में  ही  उस  गाँव  का  काया कल्प  हो  गया   l   लोगों  के  जीवन  में  उमंग  आ  गई  ,  जिस  गाँव  में  सन्नाटा  पसरा  था  ,  वहां   महिलाओं  की  हंसी , बच्चों  की  खिलखिलाहट  गूंजने  लगी   l
   इसे  हम  केवल  ईश्वर  की  कृपा  नहीं  कह  सकते  l   कर्मकांड  चाहे  किसी  भी  धर्म  के  हों  ,    उनमे  अच्छाई - बुराई  हो  सकती  है   लेकिन  उनके  माध्यम  से  लोगों  को  रोजगार  मिलता  है  ,  आय  प्राप्त  होती  है  ,  गरीबों  के  जीवन  में  छोटी - छोटी  खुशियां  आ  जाती  हैं   l   उनका  सामान  खरीदकर ,  उन्हें  थोड़ी  सी  ख़ुशी  देकर    हमारे  लिए  भी     ईश्वर  की  कृपा  पाने  का   रास्ता  खुल  जाता  है   l