महाकाश्यप भगवान बुद्ध के प्रमुख शिष्यों में से एक थे l वह जब पहली बार भगवान बुद्ध से मिलने पहुंचे तो भगवान के उनके मस्तक पर हाथ रख देने से ही उन्हें निर्वाण की प्राप्ति हो गई l यह देखकर आनंद को बड़ा आश्चर्य हुआ l उन्होंने भगवान बुद्ध से प्रश्न किया ---- " भगवन ! यह व्यक्ति आज आया और आपके क्षणिक स्पर्श से मुक्त हो गया और मैं सदा आपके साथ रहता हूँ तब भी उस अवस्था को प्राप्त न कर सका , ऐसा क्यों ? " बुद्ध ने उत्तर दिया ---- " आनंद ! तुम जब पहली बार मुझसे मिले तो तुमने तीन शर्तें रखीं कि हमेशा साथ रहोगे , सदा मेरे निकट सोओगे और जिसको भी मुझसे मिलाना चाहोगे , उससे मुझे मिलना पड़ेगा l तुम्हारा समर्पण सशर्त समर्पण था और महाकाश्यप का समर्पण बिना किन्ही अपेक्षाओं के था l समर्पण शर्तों के आधार पर नहीं होता l जिस दिन तुम्हारी अपेक्षाएं छूट जाएँगी , उस दिन तुम भी उसी शून्यता को उपलब्ध हो जाओगे l " आनंद को अपने प्रश्नों का उत्तर मिल गया l
3 April 2024
WISDOM ------
एक व्यक्ति जिनका नाम था अभय कुमार उन्हें जंगल में एक नवजात शिशु मिला l वह शिशु को अपने साथ घर ले आए और उसका नाम रखा ' जीवक ' l जब जीवक बड़ा हुआ तो उसे पता चला कि अभय कुमार उसके असली पिता नहीं हैं किसी ने लोकाचार के भय से उसे जंगल में छोड़ दिया था l यह जानकर कि वह कुलहीन है , जीवक का ह्रदय ग्लानि से भर गया l अभय कुमार ने उसे समझाया कि व्यक्ति जन्म से नहीं कर्म से महान बनता है , इसके लिए ज्ञान बहुत जरुरी है l अत: उन्होंने जीवक को श्रेष्ठतम विद्या अर्जित करने के लिए तक्षशिला जाने के लिए प्रेरित किया l जीवक के तक्षशिला पहुँचने पर उससे प्रवेश के समय कुल , गोत्र संबंधित प्रश्न पूछे तो उन्होंने स्पष्ट रूप से सब सत्य बता दिया l जीवक की सत्यवादिता से प्रसन्न होकर उसे प्रवेश दे दिया गया l जीवक ने कठोर परिश्रम से तक्षशिला विश्वविद्यालय से आयुर्वेदाचार्य की उपाधि हासिल की l उनके आचार्य ने उन्हें मगध जाकर लोगों की सेवा करने का निर्देश दिया l जीवक ने कहा ---- " आचार्य ! मगध राज्य की राजधानी है l सभी कुलीन लोग वहां निवास करते हैं l क्या वे मुझ जैसे कुलहीन से अपनी चिकित्सा करवाना स्वीकार करेंगे ? मुझे आशंका है कि कहीं मुझे अपमान का सामना न करना पड़े l " जीवक के गुरु ने उत्तर दिया --- " वत्स ! आज से तुम्हारी योग्यता , क्षमता , प्रतिभा और ज्ञान ही तुम्हारे कुल और गोत्र हैं l तुम जहाँ भी जाओगे , अपने इन्हों गुणों के कारण सम्मान के अधिकारी बनोगे l कर्म से मनुष्य की पहचान होती है , कुल और गोत्र से नहीं l सेवा ही तुम्हारा धर्म है l " जीवक की आत्महीनता दूर हो गई और अपने सेवाभाव से वे महान चिकित्सक बने l