16 December 2022

WISDOM -----

 हमारे  महाकाव्य  हमें  जीवन  जीना  सिखाते  हैं  l  महर्षि  वाल्मीकिजी  ने  रामायण  की  रचना  की  l  वे  त्रिकालदर्शी  थे  ,  वे  जानते  थे  कि  सोने  की  लंका  में  रहने  वाले  रावण  के  परिवार  की  जो  समस्या  है  , वह  कलियुग  में  घर -घर  में  होगी  l   हम  इनका  जितना  अध्ययन  करेंगे  , हमें  जीवन  जीने  के  विभिन्न  सूत्रों  का  ज्ञान  होगा  l  रामायण  का  प्रसंग  है  ---- जब  विभीषण  ने  रावण  को  समझाया   कि  माँ  सीता  स्वयं  जगदम्बा  है  ,   रावण  का  यह  हठ  उचित  नहीं  है  l  तब  रावण  ने  भरी  सभा  में  विभीषण  को  लात  मारी , अपमानित  किया  l  फिर   विभीषण  ने  रावण  को  त्याग  दिया  और  भगवान  राम  की  शरण  में  आ  गया  l  आज  के  युग  में  हम  देखते  हैं  कि  भाई -भाई  में  विवाद  है  , पारिवारिक  विवादों  के  केस  से  ही  अदालतें  भरी  हैं  ,  घरेलू  हिंसा , उत्पीड़न  है  , जीवन  सुरक्षित  नहीं  है  , अब  मनुष्य , मनुष्य  से  ही   भयभीत  है  l  ऐसे  में  विभीषण  का  चरित्र  हमारी  आँखें  खोलने  के  लिए  है  l  यह  प्रसंग  हमें  शिक्षा  देता  है  कि  जो  अत्याचारी  है , अन्यायी  है   उसे  त्याग  दो   फिर  चाहे  वह  रिश्ते  में  कोई  भी  हो  l  जिस  व्यक्ति  के  पास   अपार  सम्पदा  है , विद्वान्  भी  है  लेकिन  वह   अत्याचारी  है , दूसरे  की  पत्नी  पर  कुद्रष्टि  रखता  है  l  वन  के  कष्टों  में  भी  राम -सीता  प्रेम  से  रहते  थे  , रावण  ने   उन्हें  एक  दूसरे  से  दूर  कर  दिया  , ऐसे  अत्याचारी  का  त्याग  करना  ही  उचित  है  l  आज  तो  अत्याचार  के  विभिन्न  रूप , विभिन्न  तरीके  समाज  में  हैं   इसलिए  जागरूक  रहकर  ऐसे  रावण   को  त्याग  देना  जरुरी  है  l  विभीषण  का  चरित्र  एक  बात  और  सिखाता  है  कि  जब  दसों  दिशाओं  में  रावण  का  अत्याचार  है  ,  आतंक  है  ,  तब  जाएँ  तो  जाएँ  जहाँ  ?  एकमात्र  ईश्वर  की  शरण  में  रहो  , अपने  आत्मविश्वास  को  जगाओ  l  जो  ईश्वर  की  शरण  में  रहेगा  उसका  राजतिलक  होगा   और  जो  अत्याचारी , अन्यायी  का  साथ  देगा   उसकी  दुर्गति  और  अंत  निश्चित  है  l  सूपर्णखा  रावण  का  आदेश  मानकर  राम , लक्ष्मण  को  लुभाने  गई  तो  अपने  नाक , कान  कटवा  बैठी , पापी  का  साथ  देने  से  दुर्गति  हुई  l  विभीषण  का  चरित्र  हमें  सिखाता  है  कि  जागरूक  रहकर   और  समय  पर    सही  निर्णय  लेकर  हम  भविष्य  में  आने  वाली  विभिन्न   समस्याओं  से  स्वयं  को  सुरक्षित  कर  सकते  हैं  l  

WISDOM----

   पं.श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं --- विनम्रता  व्यक्ति  को   ग्रहणशील , संवेदनशील   बनाती  है  l  विनम्रता  से  व्यक्ति  का  विवेक  जाग्रत  होता  है  , वह  औचित्य् पूर्ण  कार्य  कर  पाता  है  l  विनम्रता  से  ही  व्यक्ति  के  अंदर  सद्गुणों  का  समावेश  होता  है  l '  ये  सद्गुण  ही  व्यक्ति  को   महानता  के  पथ  पर  ले  जाते  हैं   l  पुराण  की  एक  कथा  है ----- किसी  समय   भीलों  की  शबर  जाति  में   कृपालु  नाम  का  व्यक्ति  था  जो   ' वृक्ष  नमन '  मन्त्र विद्या  जानता  था  l  यह  मन्त्र  उसके  अलावा  केवल   उसके  पुत्र  को  ही  पता  था  l   उसकी  विद्या  में  ऐसा  प्रभाव  था  कि  खजूर  के   ऊँचे -ऊँचे  वृक्ष  भी  झुक  जाते  थे   और  उनका  रस  वह  सरलता  से  एकत्र  कर  लेता  था  l  एक  दिन  महाभारत  के  रचयिता  महर्षि  वेदव्यास  ने  उसे  इस  विद्या  का  प्रयोग  करते  देख  लिया   तो  उनके  मन  में  इस  मन्त्र  को  जानने  की  जिज्ञासा  हुई  l  वे  कृपालु  के  नजदीक  गए  ताकि  उससे  नम्रता  से  मन्त्र   सीख   लें  लेकिन  कृपालु  उन्हें  देखकर  भाग  गया   l  वे  उसके  पीछे  उसके  घर  गए  तो  वह  वहां   से   भी  भागने    लगा  l   व्यास जी  समझ  गए  कि  कृपालु  उन्हें  मन्त्र  नहीं  देना  चाहता   और  सामने  आने  से  कतरा  रहा  है  l   इसलिए  वह  शांत  भाव  से  वापस  लौटने  लगे  l  कृपालु  के  बेटे  को  उन  पर  दया  आ  गई  और  उसने  कुछ  कर्मकांड  कर  के  उन्हें  वह  मन्त्र  सिखा  दिया  l  रास्ते  में  व्यास जी  ने  नारियल  के  वृक्ष  को  लक्ष्य  कर  के  मन्त्र  जपा   तो  वह   वृक्ष   झुक  गया   , उन्होंने  एक  नारियल  तोड़  लिया   फिर   ऐसा  मन्त्र  जपा  कि  वह  वृक्ष   फिर  अपनी  जगह  पर  हो  जाये  l    कृपालु  जब  घर  लौटा  तो  उसके  पुत्र  ने  उसे  बताया  कि  उसने   वह  मन्त्र  उन्हें  सिखा  दिया  l  इस  पर  कृपालु  नाराज  होकर  कहने  लगा --- " मूर्ख  है  तू  !  वेदव्यास जी  इतने  बड़े  महापुरुष  हैं