विज्ञानं की उपलब्धियां कितनी ही व्यापक और चमत्कारिक क्यों न हों , पर यही सब कुछ नहीं है l इसके अलावा भी कुछ चाहिए , जिसके अभाव में जिन्दगी पंगु हो जाएगी और वह है --- गहरी मानवीय संवेदना l
विज्ञानं और तकनीकी ज्ञान रेलगाड़ी और विमान की गति बढ़ा सकते हैं , मारक यंत्र बना सकते हैं , लेकिन किसी समाज की चेतना को जाग्रत कर के आदर्श के बीज नहीं बो सकते l संवेदनहीन मनुष्य पशुतुल्य है l
विज्ञानं और तकनीकी ज्ञान रेलगाड़ी और विमान की गति बढ़ा सकते हैं , मारक यंत्र बना सकते हैं , लेकिन किसी समाज की चेतना को जाग्रत कर के आदर्श के बीज नहीं बो सकते l संवेदनहीन मनुष्य पशुतुल्य है l