23 March 2021

WISDOM -------

   श्रीमद् भगवद्गीता  में  भगवान  कहते  हैं  ----- " गुणों  और  कर्मों  के  आधार  पर   चार  वर्णों  ---ब्राह्मण , क्षत्रिय , वैश्य  और  शूद्र  की  रचना   मेरे  द्वारा  ही  की  गई  है  l   यह  विभाजन  जाति  के  आधार  पर  नहीं  है  l   जिन्हे   ज्ञान  की  ललक  है  ,  परमात्म ज्ञान  को  जन - जन  तक  पहुँचाना   चाहते  हैं  ,  वे  ब्राह्मण  हैं  l   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  ने  मनुस्मृति  का  हवाला  देते  हुए   कहा  है  कि   जन्म  से  तो  सभी  शूद्र  होते  हैं  ,  पर  संस्कारों  से  ब्राह्मण  बनते  हैं   l   तीन  श्रेणियाँ   हैं  ब्राह्मण  बनने  की   l   श्रम  करेंगे  तो  धन  आएगा  ,  समाज  के  हर  अंग  तक  पहुँचाया   जायेगा  ,  यह  वैश्य  का  धर्म  है   l    प्रभाव  में  वृद्धि  हुई  ,  सामर्थ्य  बड़ी    तो  समाज  के  विभिन्न  अंगों    की  रक्षा  की  ताकत  भी  आ  गई   l   यह  वर्ग  क्षत्रिय  कहलाएगा   l   इसके  बाद  जब  सांसारिकता       से ऊपर  उठ  जाते  हैं   और   ज्ञान  पाने  की    महत्वाकांक्षा  बढ़ने  लगती  है  ब्राह्मण   कहलाते     हैं     l   वे  कहते  हैं     --- ब्राह्मणत्व  एक   साधना  है  ,  जिसका  राजमार्ग  श्रम  की  साधना  से  आरम्भ  होता  है   और  पराकाष्ठा  तक  पहुँचने   पर  ज्ञान  की  प्राप्ति  होने  तक  चलता  चला  जाता  है  l                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                             

WISDOM -----

   एक  बार  कई  पक्षी  एक  बहेलिए   के  जाल  में  फँस   गए  l    पक्षियों ने  सलाह  की  और  एक  साथ  जाल  लेकर  उड़  गए  l   व्याध  भी  उनके  साथ  दौड़ा  l   किसी  साधु  ने  पूछा  --- " भाई , अब  इनके  पीछे  दौड़ने  से  क्या  लाभ  ? "  व्याध  बोला ---- " महाराज ,  जब  तक  ये  पक्षी   एक  विचार  और  एक  संगठन  में  हैं  ,  तभी  तक  जाल  का  बोझ  उठा  सकेंगे   l  "  ऐसा  ही  हुआ   l   थोड़ी  देर  में  ' कहाँ  उतरें  ? '  के  प्रश्न  पर   उनमे  विवाद  हो  गया   l   किसी - किसी  ने  ढील  दे  दी   और  परिणाम  यह  हुआ  कि  वे  जाल  समेत  नीचे  गिरे  और  मारे   गए  l