पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ------ " किसी को ईश्वर सम्पदा , विभूति अथवा सामर्थ्य देता है तो निश्चित रूप से उसके साथ कोई न कोई सद्प्रयोजन जुड़ा होता है l मनुष्य को समझना चाहिए कि यह विशेष अनुदान उसे किसी समाजोपयोगी कार्य के लिए ही मिला है l " यदि मनुष्य का विवेक जाग्रत नहीं है तो उसकी इन विभूतियों का उपयोग चालाक लोग अपने स्वार्थ के लिए कर लेते हैं जैसे औरंगजेब ने राजपूत राजाओं से मित्रता कर उनकी वीरता और पराक्रम का जी भरकर लाभ उठाया l मुट्ठी भर अंग्रेजों ने भारतीयों की मदद से ही इस देश को वर्षों तक गुलाम बनाए रखा l आचार्य श्री लिखते हैं ----- " आज के समय में भी सच्चे और ईमानदार व्यक्तियों को दीन-हीन देखा जाता है तो उसके पीछे एक कारण यह भी है कि उसका लाभ बुरे लोग उठा लेते हैं l " अधिकांशत: यह देखा जाता है कि व्यक्ति अपना विशेष जीवन स्तर बनाए रखने के लिए जानते - समझते हुए भी गलत लोगों का साथ देता है l सच्चाई संगठित नहीं होती है इसलिए उनकी अच्छाइयां निरर्थक चली जाती हैं l
25 July 2022
WISDOM -----
सौभाग्य और दुर्भाग्य के पल व्यक्ति के जीवन में आते हैं , इसी तरह एक राष्ट्र और संसार का भी अच्छा और बुरा समय होता है l संसार का दुर्भाग्य तब होता है जब धरती पर प्रतिभा संपन्न व्यक्तियों अभाव होता है l अभाव इस अर्थ में कि एक -से -बढ़कर एक प्रतिभावान और बुद्धिमान व्यक्ति धरती पर होते तो हैं लेकिन उनमे से अधिकांश अंधेरों में छिप गए होते हैं और अनेक प्रतिभावान अपनी प्रतिभा का दुरूपयोग कर रहे होते हैं l एक उदाहरण लें --- वर्तमान में नई ' पुरानी अनेक बीमारियाँ हैं , इनके इलाज के लिए निरंतर नवीन अनुसन्धान हो रहे हैं लेकिन समय की मार ऐसी है कि धन कमाना , अमीर और अमीर बनना प्राथमिकता है इसलिए बीमारी के मूल कारणों की अनदेखी होती है l आज मनुष्य बीमारी , तनाव , आत्महत्या -------- आदि अनेक समस्याओं से परेशान है , इसका मूल कारण है जिन पांच तत्वों से हमारा शरीर बना है , वे रासायनिक पदार्थ आदि के कारण प्रदूषित हो गए हैं l कला और साहित्य में दुर्बुद्धि इस तरह हावी है कि अश्लीलता का साम्राज्य है जो मानसिक प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है l फिर अस्त्र -शस्त्र , हथियारों आदि का इतना निर्माण हुआ है कि वे अपने इस्तेमाल के लिए बेचैन हैं l जहाँ युद्ध , दंगे आदि होते हैं वहां का प्रदूषण किसी से छिपा नहीं है l जीवन का हर क्षेत्र व्यवसाय बन गया है , स्वार्थ , लालच और महत्वाकांक्षा ही सब पर हावी है l यही दुर्भाग्य है जो सारे संसार के लिए खतरा है l ईश्वर ने मनुष्य को जो विभूति प्रदान की है , उसके सदुपयोग से ही दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदला जा सकता है l